सूरजअधूरी आत्महत्या में उड़ेल आयादिन-भर का चढ़नाउतरते हुए दृश्य कोसूर्यास्त कह देना कितना तर्कसंगत हैयह संदेहयुक्त हैअस्त होने की परिभाषा मेंकितना अस्त हो जानादोबारा...
मेरी निम्न-प्रकृति मेंअवसाद के अन्धकार में,अहंकार के खूंटे सेबंधा हूँ, असहाय, अकेला;मेरा प्राण-पुरुषपान करता है मादक दर्द की मदिरा !दर्द आँखों में उतर आता...