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रोजाना एक कविता: आज पढ़िए युवा शायर हर्षद तिवारी की ग़ज़ल ‘मैं पहले तो बहुत बादल बनाता’

मैं पहले तो बहुत बादल बनाता
फिर इस के बाद इक जंगल बनाता

अगर होता मैं कूज़ा-गर तुम्हारा
बची मिट्टी से फिर संदल बनाता

उसे तुम पैर से लगने न देती
अगर हाथों से मैं पायल बनाता

बनाया था तुझे आँखों का आँसू
हमें भी यार तू काजल बनाता

तुम्हें दलदल बना रक्खा है उस ने
मैं जो होता न तो मख़मल बनाता

न की आईने से तारीफ़ मैंने
अमा पागल को क्या पागल बनाता

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