संदीप गांधी नेहाल को आज की युवा पीढ़ी बेहद पसंद करती है। उनकी शायरी में गहरी दिलचस्पी है। उनको पढ़ना अपने आप में एक किताब पढ़ने जैसा है जिसमें हर रंग मिलते हैं। वो दर्शन ,अध्यात्म और अपने सूफियाना मिज़ाज को ऐसे मिलाते हैं कि इन तीनों को फिर अलग करना उतना ही मुश्किल हो जाता है जितना कि पानी में कोई रंग मिला दिया जाए और फिर उसमें से पानी को अलग करना । आज इंडिया ग्राउंड रिपोर्ट की ‘रोजाना एक कविता’ श्रृंखला में आप पाठकों के बीच पेश है संदीप गांधी नेहाल की ग़ज़ल ।
मेरी हर बात समझा कर
ये रिश्ता और गहरा कर
नही कोई सिवा उस के
ख़ुदा का रोज़ सजदा कर
ये दुनिया है बहुत ज़ालिम
मिले ज़ख़्मों पे परदा कर
बहुत उंगली उठाते हो
कभी ख़ुद को भी देखा कर
ज़बां ख़ामोश मत रखना
सही के हक़ में बोला कर