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Jaipur : कनागत 18 सितंबर से: पितृों को सोलह दिन कराएंगे श्रद्धा से भोजन

जयपुर : भाद्रपद मास के पूर्णिमा 18 सितंबर से पितृपक्ष आरंभ होंगे जो कि तीन अक्टूबर तक चलेंगे। 23 सितंबर षष्ठी और सप्तमी तिथि का श्राद्ध होगा। वहीं, 28 सितंबर को कोई भी श्राद्ध नहीं निकलेगा। ब्राह्मण को भोजन कराने से पहले काकबलि, स्वान बलि, अग्नि आहुति, गाय भोजन, चिटियों को भोजन कराया जाएगा। पंचबलि पांच पत्तों पर ही निकाले।

ज्योतिषाचार्य पंडित बनवारी लाल शर्मा ने बताया कि श्राद्ध में खीर, जलेबी, मालपुआ अर्पित करने मात्र से पित्र एक वर्ष तक तृप्त रहते है अर्थात उन्हें एक वर्ष तक भूख नहीं लगती। श्रद्धा का विशुद्ध रूप श्राद्ध हैं। हमारी सनातन संस्कृति हमें अपनें पूर्वजों, बुजुर्गों की केवल उनके जीवित रहते ही सेवा करने की शिक्षा नहीं देती अपितु उनके स्वर्ग गमन के बाद भी उनके प्रति भक्ति भाव और श्रद्धा भाव रखकर प्रतिवर्ष उनके निमित्त भोजन दान करके अपनी श्रद्धा प्रकट करने की प्रेरणा भी देती हैं। यह केवल ओर केवल भारत में ही संभव है।

ऐसे निकाले श्राद्ध

दांये हाथ में फूल, जल, तिल, जौ, कुशा, फल, मिठाई दक्षिणा लेकर अपने पितर का नाम लेकर भोजन के लिए आह्वान करें। भोजन ग्रहण करने के स्थान को साफ-सुथरा कर सुंदर आसन बिछाए। उस पर फूल बिखेरे। ब्राह्मण को उस आसन पर बैठाकर भोजन करने का अनुरोध करे। पुराणों मे कहा गया है कि निमंत्रण देने के साथ ही आपका पितर उस ब्राह्मण में मुंह से उसके शरीर में प्रवेश कर जाता है। अत: ब्राह्मण को उस रात्रि बहुत ही शुद्धता से रहना चाहिए। निमंत्रण के बाद वह जो भी खाता-पीता है, उसमें पितर भी बराबर हर चीज ग्रहण करता है। भोजन ग्रहण कराने के बाद दक्षिणा और वस्त्र देकर आशीर्वाद लेना चाहिए। श्राद्ध में ब्राह्मण भोजन का समय दोपहर 12 से 12:30 तक होना चाहिए।

ज्योतिषाचार्य पंडित बनवारी लाल शर्मा ने बताया कि श्राद्ध और तिथि इस प्रकार रहेगी।

18 सितंबर बुधवार पूर्णिमा/प्रतिपदा

19 सितंबर गुरुवार द्वितीया

20 सितंबर शुक्रवार तृतीया

21 सितंबर शनिवार चतुर्थी

22 सितंबर रविवार पंचमी

23 सितंबर सोमवार षष्ठी/सप्तमी

24-सितंबर मंगलवार अष्टमी

25 सितंबर बुधवार नवमी

26 सितंबर गुरूवार दशमी

27 सितंबर शुक्रवार एकादशी

28 सितंबर शनिवार कोई श्राद्ध नहीं

29 सितंबर रविवार द्वादशी (संन्यासियों का श्राद्ध)

30 सितंबर सोमवार त्रयोदशी

01 अक्टूबर मंगलवार चतुर्दशी (अकाल मृत्यु,)

02 अक्टूबर बुधवार अमावस्या(अज्ञात मृत्यु)

03 अक्टूबर गुरुवार नाना नानी श्राद्ध- नवरात्रि आरंभ

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