spot_img
Homelatestसरगोशियां : मेरे लिए शिव संबल का नाम है…

सरगोशियां : मेरे लिए शिव संबल का नाम है…

मेरे लिए शिव संबल का नाम है। गहन अंधकार में प्रदीप्त अंतर्ज्योति। दुखों के दरिया में गले तक धंसे कृषक की देह को दूर मुंडेर पर रखे दीपक का सहारा हैं शिव। शिव को देखता हूँ तो सहन करने, वहन करने की शक्ति मिलती है। जीवन के पोर पोर में व्याप्त विष को पीने का समर्थ जागता है। निष्काषित, परित्यक्त, लांछित, दमितों के प्रति सहोदर भाव उदित होता है। इस संसार की व्यार्थता के बीच कैसे वैराग्य की भूमि पर भी परिवार बसाया जा सकता है, शिव बताते हैं।

शिव प्रेम के नाम पर अतिक्रमण नहीं करते। पति होने के अधिकार को आरोपित नहीं करते, प्रेमी की तरह साथ खड़े रहते हैं। उन्हें वियोग में बेसुध होना और प्रेम में खो जाना आता है। वह देवताओं और दानवों में भेद नहीं करते। पशुओं और मनुष्यों में अंतर नहीं करते। वह प्रकृति पुरूष हैं प्रकृति में घुल जाते हैं। जो किसी का नहीं वह शिव का है। शिव के यहाँ हर लावारिश को पालक मिलता है। जिसका कोई नहीं उसके शिव हैं। शिव खंडित को मंडित कर सकते हैं। टूटे हुए को जोड़ देते हैं। शिव से अवसाद से लड़ने की शक्ति मिलती है। शिव बताते हैं सब कुछ त्याग कर ही सब कुछ पाया जा सकता है। शिव सक्रिय निष्क्रियता का जीवन सूत्र बताते हैं। शिव के यहां प्रेम लिप्त वैराग्य है। उनका मोह सबसे है और किसी से नहीं। वह सबके हैं और ख़ुद के भी नहीं। शिव नदी की बहती हुई धार हैं। जो रुकते नहीं पर प्यास बुझाते हुए चलते हैं। शिव आइए शिवरात्रि महापर्व में हृदय के आंगन में धूनी रमाइये।

spot_imgspot_imgspot_img
इससे जुडी खबरें
spot_imgspot_imgspot_img

सबसे ज्यादा पढ़ी जाने वाली खबर