प्रयागराज : इलाहाबाद विश्वविद्यालय, जैव प्रौद्योगिकी के विभागाध्यक्ष प्रो. एम.पी. सिंह ने ईसीसी में वनस्पति विज्ञान विभाग के पूर्व प्रोफेसर और जैव प्रौद्योगिकी केंद्र के संस्थापक समन्वयक प्रो. मुकेश पति की स्मृति में आयोजित व्याख्यान में कहा कि मशरूम एक बहुत ही महत्वपूर्ण औषधीय गुणों और पोषण से युक्त आहार है।
बुधवार को सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी, ईसीसी द्वारा “मशरूम बायोटेक्नोलॉजी : बियॉन्ड बाउंड्रीज एंड एक्सपेंडिंग होराइजन“ पर उन्होंने मशरूम के अन्य स्वास्थ्य लाभों के साथ इसके औषधीय पोषणाहार (न्यूट्रास्युटिकल) लाभों पर भी विस्तार से प्रकाश डाला।
डॉ उमेश प्रताप सिंह ने बताया कि व्याख्यान में उद्यमिता के क्षेत्र में मशरूम के महत्व पर भी चर्चा हुई। मशरूम बायोटेक्नोलॉजी देश के आर्थिक विकास में काफी सम्भावनाएं रखती है। ऑयस्टर मशरूम, गुच्ची, एगारिकस जैसे स्वादिष्ट मशरूमों का औषधीय महत्व बहुत अधिक है। ट्यूबर मेसेन्टेरिकम, जिसे जेम मशरूम के नाम से भी जाना जाता है, जो सबसे महंगे मशरूमों में से एक है। जिसकी कीमत लगभग 3 लाख रुपये प्रति किलोग्राम है। खाद्य, कृषि, अनुसंधान और विकास आदि जैसे विभिन्न क्षेत्रों में जैव प्रौद्योगिकी की कैरियर सम्भावनाओं पर भी प्रकाश डाला गया।
समारोह की अध्यक्षता ईसीसी के प्राचार्य डॉ. ए.एस. मोसेस ने एवं अतिथियों का स्वागत सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी के समन्वयक डॉ. एस.के मिश्रा ने किया।
इस अवसर पर डॉ. ए.के तिवारी, डॉ. शोनाली चतुर्वेदी, डॉ. ए.के पाठक, डॉ. निशि सेवक, डॉ. अमिताभ शाद और अन्य संकाय के सदस्य सहित 150 से अधिक छात्र-छात्राएं उपस्थित थे। संचालन सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी के ज्योति प्रधान निगम, अभिजीत विलियम सिंह एवं अरुण कुमार पाल ने किया।