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New Delhi : आयुष को मुख्यधारा में लाना राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की मुख्य रणनीति : सरकार

नई दिल्ली : आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रताप राव जाधव ने मंगलवार को कहा कि आयुष को मुख्यधारा में लाना राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की प्रमुख रणनीतियों में से एक है, जिसका उद्देश्य लोगों को सुलभ, सस्ती और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना है।

प्रताप राव जाधव ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्धा और होम्योपैथी (आयुष) डॉक्टरों व पैरामेडिक्स को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत सहायता प्रदान की जाती है, बशर्ते कि वे मौजूदा जिला अस्पतालों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के साथ स्थित हों, तथा दूरदराज के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को प्राथमिकता दी जाए।

उन्होंने एनएचएम-एमआईएस के 31 दिसंबर 2023 तक के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि आयुष को मुख्यधारा में लाने का काम एनएचएम के अंतर्गत 13,222 आयुष सुविधाओं के माध्यम से किया गया है- इनमें 6,612 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, 3,035 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 469 जिला अस्पताल, उप-केंद्र से ऊपर लेकिन ब्लॉक स्तर से नीचे की 2,916 स्वास्थ्य सुविधाएं और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के अलावा ब्लॉक स्तर पर या उससे ऊपर लेकिन जिला स्तर से नीचे की 190 स्वास्थ्य सुविधाएं शामिल हैं।

आयुष्मान भारत के तहत सरकार देशभर में उप स्वास्थ्य केंद्रों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को स्वास्थ्य और आरोग्य केंद्रों में बदलने के लिए राज्यों को सहयोग दे रही है, ताकि व्यापक प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल (सीपीएचसी) का प्रावधान किया जा सके, जिसमें सामुदायिक स्तर पर निवारक स्वास्थ्य सेवा और स्वास्थ्य संवर्धन शामिल है, ताकि देखभाल के सतत दृष्टिकोण के साथ सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके। इनमें से कुछ सुविधाएं आयुष-एसएचसी या आयुष औषधालय हैं। आयुष दवा समुदाय स्तर पर प्राथमिक स्थितियों के प्रबंधन के लिए आशा दवा किट का भी एक हिस्सा है।

इसके अलावा, अरुणाचल प्रदेश के पासीघाट में स्थित उत्तर पूर्वी आयुर्वेद एवं लोक चिकित्सा अनुसंधान संस्थान की स्थापना लोक चिकित्सा पद्धतियों और लोक चिकित्सा को पुनर्जीवित करने और बढ़ावा देने के उद्देश्य से की गई है। संस्थान नृजातीय चिकित्सा पद्धतियों के दस्तावेजीकरण और लोक दावों के वैज्ञानिक सत्यापन में लगा हुआ है।

इसके अलावा, संस्थान पारंपरिक चिकित्सकों के बीच क्षमता निर्माण विकसित करने और लोक चिकित्सा पद्धतियों और लोक चिकित्सा की संभावनाओं को लोकप्रिय बनाने के लिए जागरुकता शिविरों का आयोजन करने का भी प्रयास कर रहा है। क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया पारंपरिक सामुदायिक स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को पारंपरिक सामुदायिक स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के लिए स्वैच्छिक प्रमाणन योजना के तहत प्रमाणित कर रहा है।

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