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New Delhi : इंडियन स्पेस सेक्टर की बड़ी छलांग, देश की जीडीपी में किया 60 अरब डॉलर का योगदान

नई दिल्ली : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की अगुवाई में भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम ने जबरदस्त सफलता हासिल की है। इसके जरिए इसरो ने देश की जीडीपी में 60 अरब डॉलर का बड़ा योगदान किया है। इसके साथ ही इसकी वजह से 47 लाख से ज्यादा रोजगार के अवसर सृजित किए जा चुके हैं।

इकोन वन एंड यूरोकंसल्ट ने सोशियो इकोनॉमिक इंपैक्ट एनालिसिस ऑफ इंडियन स्पेस प्रोग्राम नाम से एक रिपोर्ट जारी करके बताया है कि इसरो ने अपनी कम लागत की वजह से दुनिया भर में अपनी एक खास पहचान बनाई है। इस रिपोर्ट में देश में अंतरिक्ष के क्षेत्र में होने वाली गतिविधियों का आकलन किया गया है। इसके साथ ही रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि स्पेस सेक्टर में चल रहे काम की वजह से देश को कितना फायदा हुआ है।

इकोन वन एंड यूरोकंसल्ट की रिपोर्ट में बताया गया है कि पूरी दुनिया में इसरो की पहचान कम खर्चे में बड़े नतीजे देने वाले संगठन के रूप में बन गई है। दूसरे देशों की स्पेस एजेंसियों की तुलना में इसरो का बजट काफी कम है। इसके बावजूद स्पेस सेक्टर में इसरो ने कई बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं। रिपोर्ट में उदाहरण के रूप में मंगलयान मिशन का जिक्र किया गया है, जिस पर 7.4 करोड़ डॉलर खर्च हुए थे। रिपोर्ट में बताया गया है कि ये खर्च दूसरे देशों में इसी तरह के मिशन पर होने वाले खर्च की तुलना में काफी कम है।

रिपोर्ट में स्पेस सेक्टर द्वारा भारतीय अर्थव्यवस्था में किए गए योगदान का भी जिक्र किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक पिछले एक दशक में प्रत्यक्ष और परोक्ष तरीके से स्पेस सेक्टर के जरिए 60 अरब डॉलर का योगदान किया गया है। इसके अलावा इंडियन स्पेस सेक्टर में पिछले एक दशक के दौरान 47 लाख से ज्यादा रोजगार के अवसर बने हैं।

इकोन वन एंड यूरोकंसल्ट ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि भारत के स्पेस प्रोग्राम की वजह से दुनिया में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ी है। कुछ दशक पहले तक विकसित देश की मदद से अपना स्पेस प्रोग्राम चलाने वाला भारत अब खुद लीडर की भूमिका में नजर आने लगा है। हालांकि इंटरनेशनल स्पेस मार्केट में हिस्सेदारी के मामले में भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम का असर अभी भी अधिक प्रभावी नहीं रहा है। इसकी वजह बताते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले कुछ दशक से नेशनल स्पेस प्रोग्राम पर राजनीति अधिक हावी रही है, लेकिन पिछले कुछ सालों के दौरान स्थिति में बदलाव आया है। इसकी वजह से इंटरनेशनल स्पेस मार्केट में इसरो प्रमुख दावेदार बनकर सामने आने लगा है।

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