मुंबई : पेरिस ओलंपिक 2024 में 50 मीटर राइफल थ्री पोजीशन स्पर्धा में कांस्य पदक जीतने वाले स्वप्निल कुसाले का गुरुवार को स्वदेश लौटने पर पुणे में जोरदार स्वागत किया गया। स्वप्निल का स्वागत करने के लिए श्री शिव छत्रपति क्रीड़ानगरी ने विशेष सम्मान समारोह आयोजित किया गया था।
स्वप्निल कुसाले का पुणे एयरपोर्ट पर शानदार स्वागत किया गया। इसके बाद बालेवाड़ी स्थित क्रीडा प्रबोधिनी में भी स्वप्रिल कुसाले का स्वागत हुआ। स्वप्रिल कुसाले कोल्हापुर के राधानगरी तहसील के कंबलवाड़ी गांव के रहने वाले हैं और उन्होंने अपनी उपलब्धियों से महाराष्ट्र और कोल्हापुर का नाम पूरी दुनिया में प्रसिद्ध किया है। करीब 72 साल बाद महाराष्ट्र का व्यक्तिगत पदक का सपना सच हो गया है। 1952 के हेलसिंकी ओलंपिक में भारत के लिए पहला व्यक्तिगत पदक जीतने वाले पहलवान खाशाबा जाधव के बाद, स्वप्निल ओलंपिक में पदक जीतने वाले महाराष्ट्र के केवल दूसरे खिलाड़ी बने हैं।
पुणे में 6 अगस्त, 1994 को जन्मे स्वप्निल का ओलंपिक तक का सफर रोमांचक रहा। स्वप्निल ने अपना पहला राज्य स्तरीय स्वर्ण पदक तब जीता जब वह नासिक के भोसले मिलिट्री स्कूल में नौवीं कक्षा में थे। तभी से उनका ओलंपिक तक का सफर जोरदार ढंग से शुरू हो गया। 2012 में स्वप्निल को पहली बार जर्मनी में एक अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट के लिए चुना गया था। तब पिता ने डेढ़ लाख का कर्ज लिया और बेटे को जर्मनी भेज दिया। वह उस प्रतियोगिता में सफल नहीं हो सके लेकिन उन्होंने फिर से कड़ी मेहनत की और 2015 में अंडर-18 स्पर्धा में रजत पदक जीता।
स्वप्निल की मां कम्बलवाड़ी गांव की सरपंच हैं। पिता और भाई दोनों शिक्षक हैं। स्वप्रिल की इस सुनहरे सपने को सफल करने में परिवार ने समय-समय पर उनका साथ दिया है। स्वप्निल कुसाले मध्य रेलवे के पुणे डिवीजन में टिकट चेकर के रूप में काम करते हैं। ओलंपिक में उनकी सफलता पर सेंट्रल रेलवे ने भी गौर किया है। मध्य रेलवे के महाप्रबंधक राम करण यादव ने स्वप्निल को अधि