मन्दिर तुम्हारा हैदेवता हैं किस के?
प्रणति तुम्हारी हैफूल झरे किस के?
नहीं, नहीं, मैं झरा, मैं झुका,मैं ही तो मन्दिर हूँ,ओ देवता! तुम्हारा।
वहाँ, भीतर, पीठिका...
राजेश जोशी
जो इस पागलपन में शामिल नहीं होंगे, मारे जाएंगे
कठघरे में खड़े कर दिये जाएंगेजो विरोध में बोलेंगेजो सच-सच बोलेंगे, मारे जाएंगे
बर्दाश्त नहीं किया...