कक्षा आठवीं (उर्दू), कक्षा सातवीं (उर्दू) और कक्षा आठवीं (अंग्रेजी) में अध्याय जोड़े गए
नई दिल्ली : (New Delhi) अब कक्षा सात और आठ के छात्रों को फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ, ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान और मेजर सोमनाथ शर्मा की जीवनी (biography of Field Marshal Sam Manekshaw, Brigadier Mohammad Usman and Major Somnath Sharma) पढ़ाई जाएगी। सरकार ने इसी शैक्षणिक वर्ष से एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम में तीनों सैन्य अधिकारियों के बलिदान की कहानी शामिल करने का फैसला लिया है। कक्षा आठवीं (उर्दू), कक्षा सातवीं (उर्दू) और कक्षा आठवीं (अंग्रेजी) में यह अध्याय जोड़े गए हैं।
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम में नए अध्यायों को शामिल करने का उद्देश्य छात्रों को साहस और कर्तव्यनिष्ठा की प्रेरणादायक कहानियों से परिचित कराना है। फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ भारत के पहले फील्ड मार्शल (Field Marshal Sam Manekshaw was India’s first field marshal officer) अधिकारी थे, जिन्हें असाधारण नेतृत्व और रणनीतिक कौशल के लिए याद किया जाता है। उनकी भूमिका 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारत की जीत के लिए महत्वपूर्ण थी, जो 13 दिनों तक चला। पाकिस्तानी सेना के आत्मसमर्पण और स्वतंत्र बांग्लादेश का निर्माण होने के साथ यह युद्ध समाप्त हुआ था। मानेकशॉ को भारत के दो सर्वोच्च नागरिक सम्मानों 1968 में पद्म भूषण और 1972 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।
ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान 1947 के भारत-पाकिस्तान (Indo-Pakistani War of 1947) युद्ध के दौरान कार्रवाई में मारे गए भारतीय सेना के सर्वोच्च रैंकिंग अधिकारी थे। एक मुस्लिम के रूप में उस्मान भारत की समावेशी धर्मनिरपेक्षता का प्रतीक बन गए। भारत के विभाजन के समय उन्होंने कई अन्य मुस्लिम अधिकारियों के साथ पाकिस्तान सेना में जाने से इनकार कर दिया और भारतीय सेना के साथ सेवा जारी रखी। जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तानी सैनिकों से लड़ते हुए 3 जुलाई, 1948 में वह शहीद हो गए थे। उन्हें दुश्मन के सामने बहादुरी के लिए भारत के दूसरे सबसे बड़े सैन्य पदक महावीर चक्र से सम्मानित किया गया।
मेजर सोमनाथ शर्मा (Major Somnath Sharma) ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अराकन अभियान बर्मा में जापानी लोगों के खिलाफ कार्रवाई की थी। इसके बाद 1947 में भारत-पाक युद्ध लड़ा और 03 नवम्बर, 1947 को श्रीनगर विमान क्षेत्र से पाकिस्तानी घुसपैठियों को बेदखल करते समय वीरगति को प्राप्त हो गये। राष्ट्र की सेवा में अपने प्राणों की आहुति देने वाले मेजर शर्मा को परमवीर चक्र (मरणोपरांत) से सम्मानित किया गया था।यह पहली बार था जब इस पुरस्कार की स्थापना के बाद किसी बलिदानी को सम्मानित किया गया था। संयोगवश मेजर शर्मा के भाई की पत्नी सावित्री बाई खानोलकर परमवीर चक्र की डिजाइनर थी ।
राष्ट्रीय युद्ध स्मारक को प्रमुख राष्ट्रीय स्थल (National War Memorial as a premier national landmark) के रूप में स्थापित करने के प्रयासों के तहत रक्षा मंत्रालय ने स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए शिक्षा मंत्रालय और राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के साथ साझेदारी की है। इस स्मारक की स्थापना सभी नागरिकों में देशभक्ति, उच्च नैतिक मूल्यों, त्याग, राष्ट्रीय भावना और अपनत्व की भावना जगाने के साथ-साथ राष्ट्र के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले हमारे वीर सैनिकों को सच्ची श्रद्धांजलि देने के लिए की गई थी। बलिदानियों की कहानियों को पाठ्यक्रम में शामिल करने से छात्रों को न केवल भारत के सैन्य इतिहास की जानकारी मिलेगी, बल्कि राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान पर महत्वपूर्ण जीवन के सबक भी सीखेंगे।