मुंबई : (Mumbai) बॉम्बे उच्च न्यायालय (Bombay High Court) ने गुरुवार को मुंबई में कबूतरों को दाना डालने वालों पर प्रतिबंध बरकरार रखने का आदेश जारी किया। अदालत ने इस मामले में विशेषज्ञों की समिति गठित करने का भी आदेश दिया है। उच्च न्यायालय में अब इस मामले की अगली सुनवाई 13 अगस्त (hearing of this case in the High Court will now be on August 13) को होगी।
बॉम्बे उच्च न्यायालय में आज न्यायाधीश गिरीश कुलकर्णी और न्यायाधीश आरिफ डॉक्टर (Justice Girish Kulkarni and Justice Arif Doctor) की पीठ के समक्ष कबूतरखानों के समर्थन और प्रतिबंध को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई हुई। इस मामले की सुनवाई के दौरान मुंबई नगर निगम और बॉम्बे अस्पताल के डॉ. सुजीत रंजन ने उच्च न्यायालय में एक रिपोर्ट (Mumbai Municipal Corporation and Dr. Sujit Ranjan of Bombay Hospital) पेश की थी। उच्च न्यायालय ने इस रिपोर्ट के आधार पर कबूतरखानों पर प्रतिबंध लगाने के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा कि इसमें उल्लेख है कि कबूतरों की बीट और पंख मानव स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहे हैं। उच्च न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि अगर कोई सार्वजनिक स्थान पर कबूतरों पर दाना फेंकता है, तो उसके खिलाफ मामला दर्ज किया जाना चाहिए। उच्च न्यायालय ने यह भी सख्त हिदायत दी है कि देश का कोई भी नागरिक अदालत की अवमानना नहीं करेगा।
हालांकि बार-बार कहा जा रहा है कि उच्च न्यायालय ने कबूतरखाने को लेकर आदेश दिया है, लेकिन आज की सुनवाई में उच्च न्यायालय ने भी सफाई दी। “कबूतरखाने का आदेश मुंबई नगर निगम ने लिया था, उच्च न्यायालय ने नहीं। हम नहीं चाहते कि यह छवि बने कि अदालत ने आदेश दिया है। हममें से कोई भी इसमें विशेषज्ञ नहीं है। इसके बजाय, विशेषज्ञों की एक समिति गठित की जानी चाहिए और उन्हें एक रिपोर्ट प्रस्तुत करनी चाहिए। ” अगर विशेषज्ञों की समिति मुंबई नगर निगम के पक्ष में (कबूतरखाने बंद करने के पक्ष में) फैसला देती है, तो सभी को उस फैसले का सम्मान करना होगा।
उच्च न्यायालय के आदेश के बाद पक्षीप्रेमी ललित गांधी (bird lover Lalit Gandhi) ने कहा कि वे अदालत के निर्णय का स्वागत करते हैं। अदालत के फैसले का अध्ययन किया जाएगा और इसे उच्चतम न्यायालय में चुनौती दिए जाने के संबंध में समाज के लोगों से चर्चा कर निर्णय लिया जाएगा। मुंबई शहर के संरक्षक मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा (Mumbai City Guardian Minister Mangal Prabhat Lodha) ने कहा कि उन्होंने अदालत का निर्णय अब तक पढ़ा नहीं है, इसलिए इस संबंध में वे कोई प्रतिक्रिया नहीं दे सकते। शिवसेना शिंदे समूह की विधायक मनीषा कायंदे (Shiv Sena Shinde group MLA Manisha Kayande) ने उच्च न्यायलय के फैसले का स्वागत किया है। कायंदे ने कहा कि लोगों के स्वास्थ्य को उच्च न्यायालय ने महत्व दिया है, इसलिए प्रथा परंपरा का हवाला देने वालों को भी लोगों के स्वास्थ्य को सर्वोपरि मानना