https://youtu.be/cH6gMfAzbYA
यह कदंब का पेड़ अगर माँ होता यमुना तीरे।मैं भी उस पर बैठ कन्हैया बनता धीरे-धीरे॥
ले देतीं यदि मुझे बांसुरी तुम दो पैसे वाली।किसी...
https://youtu.be/YrBeyqZXTrk
पूर्व प्रधानमंत्री व भारतरत्न अटल बिहारी जी हमेशा एक कविता दोहराते रहते थे। जिसे सुनकर लोगों को ऐसा लगता था कि इस कविता के...
मन्दिर तुम्हारा हैदेवता हैं किस के?
प्रणति तुम्हारी हैफूल झरे किस के?
नहीं, नहीं, मैं झरा, मैं झुका,मैं ही तो मन्दिर हूँ,ओ देवता! तुम्हारा।
वहाँ, भीतर, पीठिका...