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India Ground Report

रोजाना एक कविता : आज पढ़ें संदीप गांधी “नेहाल” की कविता आशिकी

यार जिनसे आशिक़ी करते हैंनाम उनके ज़िंदगी करते हैं मौत हम को क्या जुदाई देगीइश्क़ की हम बंदगी करते हैं साथ में हर पल गुज़र जाता...

रोजाना एक कविता : आज पढ़ें विशाखा मुलमुले की कविता भाषा

वह दिन भर कई संभाषणों से गुजरती है किशोर संततियों से उनकी भाषा में बात करती है कि , अब जरूरी है जननी का मित्रवत होना दूधमुहें...

रोजाना एक कविता : आज पढ़ें कात्यायनी की कविता एक अधूरा-असमाप्त गीत

जीवन के अंतिम पल तकचाहतों और सपनों के अक्षय पात्र जैसा होयह हृदय !यायावरी में होना चाहूँघाटी के ऊपर उड़ते-भटकतेबादल की तरह बेपरवाहऔर ठहराव...

सरगोशियां : और वह संभावना अब शून्य हो गई..!

सांसों की डोर सृजन से बंधी होती है। रचनात्मकता यश को नहीं, उम्र को भी बढ़ाती है और कलाएं जीवन में केवल बाह्य उपक्रम...

सरगोशियां : मेरे लिए शिव संबल का नाम है…

मेरे लिए शिव संबल का नाम है। गहन अंधकार में प्रदीप्त अंतर्ज्योति। दुखों के दरिया में गले तक धंसे कृषक की देह को दूर...

क्या है वैक्यूम बम?, यूक्रेन को तबाह करने के लिए, जिसका इस्तेमाल कर रहा है रूस

मोनिका श्रीवास्तवरूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग का आज छठां दिन है। विश्वभर के तमाम देश रूसी राष्ट्रपति पुतिन से इस युद्ध को...

उनके पास दुनिया की सबसे उदास धुनें थीं

बहुत दूर के कुछ द्वीप थे, कथित सभ्यता से दूर। किसी लुप्त होती भाषा को बोलने वाला आख़िरी व्यक्ति कितना अबोला अपने अंदर लिए...

रोजाना एक कविता : आज पढ़ें महादेवी वर्मा की कविता सजल है कितना सवेरा

सजल है कितना सवेरासजल है कितना सवेरा गहन तम में जो कथा इसकी न भूलाअश्रु उस नभ के, चढ़ा शिर फूल फूलाझूम-झुक-झुक कह रहा हर...

रोजाना एक कविता : आज पढ़ें उमेश चौहान की कविता युद्ध और बच्चे

एक माँ बुरका ओढ़ेअपने दुधमुँहें बच्चे को छाती से चिपकाएबसरा से बाहर चली जा रही हैअनजान डगर परकिसी इनसानी बस्ती की तलाश मेंअपने अधटूटे...

सरगोशियां : हम युद्ध नहीं चाहते

यूक्रेन की सीमा पर जब से तनाव शुरू हुआ है, युद्ध से बचने की अपीलें दुनियाभर से आ रही हैं। लेकिन, अपील सीधी व स्पष्ट हो..ऐसे देश व लोग गिनती के हैं। 'हम युद्ध नहीं चाहते, मलतब किसी के भू-भाग पर नहीं चाहते।' ऐसा कहने वाले कितने हैं!

रोजाना एक कविता : आज पढ़िए युद्ध के खिलाफ़ एक युद्ध का एलान करती फ़िरोज़ ख़ान की कविता ‘युद्ध’

रोजाना एक कविता : आज पढ़िए युद्ध के खिलाफ़ एक युद्ध का एलान करती फ़िरोज़ ख़ान की कविता 'युद्ध'

रोजाना एक कविता : आज पढ़ें जय शंकर प्रसाद की कविता क्या कहती हो ठहरो नारी

क्या कहती हो ठहरो नारीसंकल्प अश्रु-जल-से-अपनेतुम दान कर चुकी पहले हीजीवन के सोने-से सपनेनारी! तुम केवल श्रद्धा होविश्वास-रजत-नग पगतल मेंपीयूष-स्रोत-सी बहा करोजीवन के सुंदर...

प्रेरक प्रसंग : ज्ञान की सार्थकता

डॉक्टर अल्बर्ट श्‍वाइट्जर अमेर‍िका में अपना आश्रम बनवा रहे थे, जहां उनकी योजना अपना ज्ञान और अनुभव युवाओं में बांटने की थी। आश्रम के...

लघुकथा: दार्शनिक और मोची

एक दार्शनिक फटे जूते लेकर एक मोची की दुकान पर आया और मोची से बोला, "जरा इनकी मरम्मत तो कर दो।"मोची ने कहा, "अभी...