PANVEL : मनपा ने की प्रतिबंधित प्लास्टिक पर कार्रवाई

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पनवेल : पनवेल मनपा द्वारा प्रतिबंधित सिंगल यूज प्लास्टिक पर मनपा आयुक्त गणेश देशमुख के निर्देशानुसार विक्रय एवं उपयोग करने वालों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की गई है। केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा संशोधित प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम-2016 के नियम 4(2) के तहत अधिसूचना जारी कर एक जुलाई से एकल उपयोग वाले प्लास्टिक के निर्माण, आयात, भंडारण, वितरण, बिक्री और उपयोग पर प्रतिबंध लगा है। राज्य सरकार के निर्देशानुसार पनवेल मनपा द्वारा प्लास्टिक प्रतिबंध की कार्रवाई की जा रही है। प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने के लिए वार्डवार टीमों का गठन किया गया है। उक्त टीम वार्ड में विभिन्न दुकानों, बाजारों, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों, फेरीवालों, होटलों व रेस्टोरेंट में जाकर प्लास्टिक जब्त कर जुर्माना वसूल कर रही है। ये टीमें उस स्थान पर सफाई निरीक्षक के नेतृत्व में काम कर रही हैं। इस कार्रवाई में पहला अपराध दर्ज होने पर पांच हजार रुपए, दूसरा अपराध दर्ज होने पर 10 हजार रुपए, 25 हजार रुपए व तीसरा अपराध दर्ज होने पर तीन माह की कैद की सजा का प्रावधान है।

मनपा ने जुर्माने के तौर पर वसूले 55 हजार
पनवेल मनपा ने अब तक एक लाख 55 हजार रुपए का जुर्माना वसूल किया है। अब तक 450 किलोग्राम प्लास्टिक जब्त किया जा चुका है। उक्त कार्यवाही की समीक्षा उपायुक्त (स्वास्थ्य) सचिन पवार और सहायक आयुक्त वैभव विधाते ने की। मार्च 2018 से सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसमें सभी प्रकार के प्लास्टिक कैरी बैग शामिल हैं। हैंडल के साथ और बिना, कम्पोस्टेबल और प्लास्टिक (कचरा और नर्सरी बैग को छोड़कर) सभी प्रकार के गैर-बुने हुए पॉलीप्रोपाइलीन बैग (गैर-बुने हुए पॉलीप्रोपाइलीन बैग) 60 ग्राम प्रति वर्ग मीटर से कम की मोटाई के साथ (जीएसएम) प्रतिबंधित है।
इन प्लास्टिक की वस्तुओं पर है प्रतिबंध
प्लास्टिक की छड़ियों के साथ कान के छल्ले, गुब्बारों के लिए प्लास्टिक की छड़ें, प्लास्टिक के झंडे, कैडी, लाठी, आइसक्रीम की छड़ें। सजावट के लिए प्लास्टिक और पॉलीस्टाइरीन (थर्मोकोल) प्रतिबंधित हैं। कंपोस्टेबल सामग्री से बनी एकल उपयोग की वस्तुएं जैसे स्ट्रॉ, प्लेट, कप, प्लेट, गिलास, कांटे, चम्मच, बर्तन, कटोरे, कंटेनर आदि। हालांकि, कंपोस्टेबल सामग्रियों से प्लास्टिक से बनी ऐसी वस्तुओं की कंपोस्टेबिलिटी के संबंध में केंद्रीय प्लास्टिक इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी संस्थान (सीआईपीईटी) और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा प्रमाणित होना अनिवार्य होगा।

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