नई दिल्ली : जमात-ए-इस्लामी हिंद की महिला विंग की तरफ से नैतिक जागरुकता के लिए सितंबर से एक महीने का राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू किया जा रहा है। इसका विषय “नैतिकता ही स्वतंत्रता का आधार” है। अभियान का उद्देश्य लोगों में जागरुकता पैदा करना और उन्हें यह बताना है कि सच्ची स्वतंत्रता क्या है और इसे नैतिकता से कैसे जोड़ा जाए?
यह बातें जमात-ए-इस्लामी हिंद की राष्ट्रीय सचिव रहमतुन्निसा ने ओखला स्थित मुख्यालय में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कहीं। उन्होंने देश में महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ बढ़ती यौन हिंसा और हत्याओं पर दुख जताया और कहा कि हमारे समाज में महिलाओं के प्रति गहरी सामाजिक असमानताएं, स्त्रीद्वेष, पूर्वाग्रह और भेदभाव ने स्थिति को और भी जटिल बना दिया है। विशेषकर जब बात उपेक्षित वर्गों जैसे दलितों, आदिवासियों, अल्पसंख्यकों और विकलांग महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा की हो। उन्होंने कहा कि कोलकाता (पश्चिम बंगाल) में आरजी कर अस्पताल में बलात्कार और हत्या, गोपालपुर (बिहार) में 14 वर्षीय दलित लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार और हत्या, उधम सिंह नगर (उत्तराखंड) में एक मुस्लिम नर्स के साथ बलात्कार और हत्या तथा बदलापुर (महाराष्ट्र) के एक स्कूल में दो बच्चियों के साथ यौन उत्पीड़न जैसी घटनाएं साबित करती हैं कि हमारे देश में महिलाओं और लड़कियों के प्रति मानसिकता और दृष्टिकोण पर गंभीर आत्मनिरीक्षण की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि केरल में आंशिक रूप से जारी हेमा समिति की रिपोर्ट से पता चलता है कि मनोरंजन उद्योग जैसे अत्यंत उदार कार्यस्थलों पर भी महिलाओं की सुरक्षा में कमी है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) और राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) के आंकड़ों के अनुसार महिलाओं के खिलाफ अपराध साल दर साल बढ़ रहे हैं। हालांकि, ये संख्याएं तो केवल एक नजीर भर है, क्योंकि यह दर्ज मामलों पर आधारित हैं। जानबूझकर या अन्यथा दबाए गए या अनदेखा किए गए मामलों की संख्या काफी अधिक है।
सुश्री रहमतुन्निसा ने कहा कि महिलाओं पर अत्याचार की मानसिकता एक महामारी की तरह फैल गई है, जो हमारे देश की शांति और विकास को प्रभावित कर रही है। इस अभिशाप का मुख्य कारण स्वतंत्रता के नाम पर नैतिक मूल्यों का पतन है। समाज में नैतिक मूल्यों की कमी, महिलाओं को वस्तु मानना, यौन शोषण और दुर्व्यवहार, वेश्यावृत्ति, विवाहेतर संबंध, शराब और नशीली दवाओं का बढ़ता उपयोग आदि जैसी समस्याएं उत्पीड़न और शोषण को जन्म देती हैं। इसी तरह, यौन संचारित संक्रमण (एसटीआई), गर्भपात, यौन हिंसा और बलात्कार में वृद्धि के अलावा, पारिवारिक इकाई का टूटना एवं निर्लज्जता की व्यापकता समाज के नैतिक ताने-बाने को तेजी से नष्ट कर रही है। इसके अलावा, सांप्रदायिक और जाति-आधारित राजनीति के बढ़ते प्रभाव, कुछ समुदायों और जातियों को नीच समझने और उन पर हावी होने की चाहत ने स्थिति को और खराब कर दिया है।
जमात-ए-इस्लामी हिंद की राष्ट्रीय संयुक्त सचिव शाइस्ता रफत ने कहा कि इस तथ्य से इनकार नहीं किया जा सकता है कि कोई व्यक्ति केवल नैतिक मूल्यों का अनुसरण करके ही वास्तविक जीवन और स्थाई स्वतंत्रता प्राप्त कर सकता है। इस अभियान का उद्देश्य जाति, समुदाय, रंग और नस्ल, लिंग, धर्म और क्षेत्र के भेदभाव के बिना सभी के लिए बुनियादी जरूरतों को पूरा करने और बुनियादी अधिकारों को प्राप्त करने के लिए आवश्यक स्वतंत्रता सुनिश्चित करना है। अभियान के दौरान राष्ट्रीय, राज्य, जिला और जमीनी स्तर पर शिक्षाविदों, परामर्शदाताओं, वकीलों, धार्मिक विद्वानों और सामुदायिक नेताओं को शामिल करते हुए जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। छात्रों और युवाओं को सच्ची स्वतंत्रता और नैतिक मूल्यों से परिचित कराने के लिए परिसर में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। प्रत्येक धर्म और संस्कृति में समान नैतिक मूल्यों पर सार्वजनिक चर्चा के लिए विभिन्न धर्मों के विद्वानों को शामिल करते हुए विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।