Mumbai : बंदरगाह परियोजना के खिलाफ पालघर के मछुआरों ने फूंका विरोध का बिगुल

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मुंबई : (Mumbai) पालघर के वाढवण (Wadhwan of Palghar)में प्रस्तावित मोदी सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट बंदरगाह परियोजना को कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद किसानों,मछुआरों, भूमिपुत्रों के विरोध की आग और भड़क गई है। विनाशकारी बंदरगाह परियोजना का वर्षो से विरोध जारी है।लेकिन केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस विरोध के बावजूद बुधवार को वाढवण बंदरगाह को मंजूरी दे दी। इसके बाद पालघर इलाके के तट पर भूमिपुत्रों का आक्रोश फूट पड़ा है।

मछुआरों का कहना है, कि विनाशकारी परियोजना जबरन हम पर थोपी जा रही है। बंदरगाह बनने इस इलाके में समुंद्र में मछलियां विलुप्त होगी साथ ही तटीय इलाकों में रहने वाले लाखों मछुआरों की रोजी रोटी भी छिनेगी।

इसके अलावा क्षेत्र का कृषि उद्योग भी प्रभावित होगा। सरकार का कहना है कि ७६,२०० करोड़ की लागत वाला यह बंदरगाह भारत के समुद्री कंटेनरों को संभालने की क्षमता को दोगुना कर देगा, जिसके चलते १२ लाख नौकरियां पैदा होंगी। विरोधियों का कहना है, कि सरकार के इस बयान में कोई सच्चाई नहीं है। उरण, न्हावा शेवा बंदरगाह से आज किसे फायदा हो रहा है? यहां के भूमिपुत्रों को यह सपना दिखाकर लुभाने की कोशिश की जा रही है। जबकि यह बंदरगाह समुद्र में मछलियों की ‘गोल्डन बेल्ट’ को नष्ट कर देगा और इस क्षेत्र में मछली पकड़ना बंद हो जाएगा। मछलियां नष्ट हो जाएंगी और हमें मछली के लिए गुजरात पर निर्भर रहना पड़ेगा। बंदरगाह के बनने से तटीय क्षेत्रों के मछुआरों के गांवो के पानी भरेगा। इस बंदरगाह से वाढवण समुद्र और तटीय जैव विविधता पूरी तरह से खत्म हो जाएगी। वाढवण विकास के लिए यहां की कृषि, बागवानी भूमि का भी अधिग्रहण किया जाएगा। इससे खेती भी खत्म हो जाएगी।

न केवल वाढवण, बल्कि मुंबई, दहाणू,वसई, विरार, तलासरी झाई तक के मच्छी विक्रेताओं ने भी वाढवण बंदरगाह के खिलाफ बिगुल बजा दिया है।

मछुआरों ने फूंका सरकार का पुतला

बंदरगाह परियोजना को हरी झंडी मिलने के बाद भड़के मछुआरों ने सरकार का पुतला फूंक कर अपना विरोध जताया और ऐलान किया कि अगर परियोजना हम थोपी गई तो मछुआरों रेल रोकेंगे और जल समाधि लेंगे। तटीय इलाकों में बंदरगाह परियोजना जबरन थोपे जाने से नाराज मछुआरों के गांवो में जमकर सरकार के विरोध के नारेबाजी हो रही है।मछुआरों का कहना है, कि बंदरगाह बनने से मछुआरों का रोजगार चौपट हो जाएगा और मछली के पलने-बढ़ने की जगह गोल्ड बेल्ट नष्ट हो जाएगा। बंदरगाह के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यून (एनजीटी) में हमारी याचिका विचाराधीन है। इसके बावजूद केंद्र सरकार ने कानून को ताक पर रखकर वाढवन बंदरगाह बनाने की मंजूरी दी है। वाढ़वन बंदरगाह विरोधी युवा संघर्ष समिति के स्वप्नील तरे, भूषण भोईर, हेमंत तामोरे, शशी सोनावणे, भरत वायडा, नरेंद्र पाटील, नरेंद्र सुतारी, राजश्री भानाजी मरोल मुंबई, विजय वझे, प्रताप अकरे, किरण दलवी, हर्षद पाटील, शिवसेना शाखा प्रमुख उत्तेजण पाटील, शरद दलवी, ओसरवाडी ग्रामपंचायत सदस्य प्रदीप पाटील,वाढवण सहित डहाणूखाडी व चिंचणी, वरोर, दिघरेपाडा के ग्रामीण उपस्थित मौजूद रहे।