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Mahoba: भाजपा में शामिल होने वाले दिग्गज नहीं दिला पाए वोट

महोबा:(Mahoba) लोकसभा क्षेत्र (Lok Sabha constituency) में चुनाव के पहले भाजपा ने अपना कुनबा बढ़ाने को दूसरे दलों के दिग्गजों को भाजपा में शामिल कराया, लेकिन वो पार्टी प्रत्याशियों को जीत दिलाने में असफल रहे हैं। अब भारतीय जनता पार्टी चुनाव में नतीजे आने के बाद हार-जीत के एक-एक पहलू की समीक्षा कर रही है। इसमें खास बात है कि अन्य दलों से भाजपा में आए दिग्गज कोई छाप नहीं छोड़ सके हैं।

हमीरपुर-महोबा-तिंदवारी लोकसभा सीट पर पिछले दो बार के चुनावों में भाजपा ने बड़े अंतर से जीत दर्ज की थी। लेकिन इस बार परिणाम बिल्कुल उलट हो गया है। यहां पर भाजपा प्रत्याशी कुंवर पुष्पेंद्र सिंह चंदेल को इंडिया (आईएनडीआईए) गठबंधन के सपा प्रत्याशी अजेंद्र सिंह राजपूत ने 2629 मतों से शिकस्त दे दी है। प्रदेश में यह सबसे कम अंतर से हुई जीत में शामिल हो गई है।

लोकसभा चुनाव से पूर्व महोबा में सपा के पूर्व मंत्री सिद्ध गोपाल साहू, भागीरथ नगायच, दिलीप सिंह सहित कई दिग्गजों ने भाजपा का दामन थामा, जिससे उम्मीद थी यह सब अपने-अपने क्षेत्र में भाजपा को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जबकि नए मेहमानों के आने से पुराने कार्यकर्ताओं ने खुद को उपेक्षित समझा। चुनाव नतीजों को लेकर कहीं ना कहीं दल बदलू नेताओं से भाजपा को नुकसान होने की बात कही जा रही है।

अन्य दलों के नेताओं को भाजपा में शामिल करने को लेकर संगठन में भी दो मत रहे। जमीनी कार्यकर्ताओं की भावनाओं की अनदेखी करते हुए दूसरे दलों के तमाम दागियों को भाजपा में शामिल किया गया। चुनाव में नेताओं को प्रचार की कमान भी सौंपी गई, लेकिन यह सब प्रचार में जीरो साबित हुए। आराम तलब नेता अपनी-अपनी एसी कारों और कमरों से गाहे-बगाहे फोटोग्राफी करने को निकलते रहें। जिसको लेकर भाजपा के जमीनी कार्यकर्ताओं में भी भारी आक्रोश देखने को मिला है। जबकि कार्यकर्ताओं के द्वारा ऐसे नेताओं को शामिल करने को लेकर संगठन के कुछ खास नेताओं को भला बुरा भी कहा जा रहा है।

जनपद के कुछ लोगों के द्वारा भारतीय जनता पार्टी के लोकसभा चुनाव पूर्व नव निर्वाचित जिला अध्यक्ष अवधेश गुप्ता पर संगठन में अन्य बिरादरी की उपेक्षा करने का आरोप लगाया जा रहा है। साथ ही जिला अध्यक्ष के द्वारा अपनी बिरादरी से ही संगठन में कई लोगों को पद सौंप दिए गए, जो कि उस लायक भी नहीं है फिर भी उनको जिले की जिम्मेदारी दी गई है। इन सब के चलते ही भाजपा को चुनाव में भारी नुकसान हुआ है और पार्टी प्रत्याशी जीतने के बजाए हार गए।

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