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Homeshabdजारीना एलेक्जेंड्रा (1868-1918) का पत्र जार निकोलस द्वितीय के नाम

जारीना एलेक्जेंड्रा (1868-1918) का पत्र जार निकोलस द्वितीय के नाम

रूस का जार निकोलस द्वितीय अपनी पत्नी एलेक्जेंड्रा के प्रति बहुत समर्पित था। एलेक्जेंड्रा भी उस पर उतनी ही मेहरबान थी और सत्ता संचालन में खुलकर उसका हाथ बंटाती थी। प्रस्तुत पत्र 1916 में लिखा गया, जब वह अड़तालीस वर्ष की हो चली थी, लेकिन इस उम्र में भी निकोलस पर उसका प्रभाव इस पत्र से स्पष्ट है। यह अलग बात है कि भाग्य तब तक उनका साथ छोड़ चुका था। इस पत्र के तीन सप्ताह बाद उनके ‘प्रिय मित्र रासपुतिन की हत्या हो गई। अगले वर्ष सेनाओं में बगावत फैल गई और निकोलस ने गद्दी छोड़ की। उसे और उसके परिवार को बंदी बना लिया गया और जुलाई, 1918 में क्रांतिकारियों के एक दस्ते द्वारा मौत के घाट उतार दिया गया।

मेरा दिल व आत्मा तुम्हारे करीब हैं

मेरे बहुमूल्य रतन तुम्हें यूं जाते देखना कितना दर्दनाक है खासकर पिछले एक अरसे से बेहद कठिन – हालात से गुजरने के बाद, पर प्रेम और दया के सागर उस ईश्वर ने हमारी प्रार्थनाएं सुनी हैं और हालात कुछ संभले हैं। थोड़े और धैर्य से काम लेने और ईश्वर पर भरोसा रखने से हालात बिल्कुल ठीक हो जाएंगे। मुझे पूरी उम्मीद है कि महान और ख़ूबसूरत दिन हमारी सत्ता और रूस से अब ज्यादा दूर नहीं है। सिर्फ अपने हौसले बनाए रखो और दूसरों की बातों और आशंकाओं पर ध्यान न दो।

हर किसी को दिखा दो कि तुम हालात के स्वामी हो और तुम्हारे आदेश का पालन हर किसी के लिए अनिवार्य है कि नरमी और ढील के दिन लद गए अब तुम्हारे संकल्प और तुम्हारी शक्ति के राज का वक्त है। उन सबको समझा दो कि अनुशासन का क्या अर्थ है। तुम्हारी उदारता और विनम्रता के कारण वे इस शब्द का अर्थ भूल गए हैं। उन्हें फिर से याद दिला दो कि तुम्हें किस तरह का अनुशासन चाहिए।

लोग मुझसे घृणा क्यों करते हैं? इसलिए कि वे जानते हैं कि मैं दृढ़ संकल्प वाली स्त्री हूं। मैं एक बार कुछ ठान लूं तो फिर अपना इरादा नहीं बदलती और यही बात उनसे सहन नहीं होती। पर ऐसा सोचने वाले सिर्फ बुरे लोग हैं। अच्छे लोग मुझसे बहुत प्रेम करते हैं और पूरी ईमानदारी और सच्चाई से मेरे प्रति समर्पित हैं। आम लोगों और फौज को ही देख लो। मुझे तो साफ नजर आ जाता है कि कौन अच्छा है और कौन बुरा- इसलिए यह सब अब मुझे उतना ख़राब नहीं लगता जितना अपनी कम उम्र में लगता था, लेकिन जो लोग तुम्हें या मुझे उद्दंडता भरे पत्र लिखने का दुस्साहस करते हैं, उन्हें जरूर सजा मिलनी चाहिए।

प्रिय, मोगिलेव विर्जिन के चर्च में हो आना और उसे तुम्हें शांति और शक्ति देने के लिए कहना । ‘छोटे बेबी’ को भी साथ लेते जाना। एक मोमबत्ती भी जलाना और किसी किस्म की शर्म न करना। लोगों को पता चलना चाहिए की तुम एक पक्के ईसाई हो। इससे दूसरों को भी सीख मिलती है। अकेली रातें कैसे गुजरेंगी? मैं कल्पना भी नहीं कर पा रही। तुम्हारी बांहों में भरे होने की कल्पनाएं करने के सिवा और रास्ता ही क्या है? इससे मेरी आत्मा और मेरे हृदय की पीड़ा कुछ देर के लिए चैन पा जाती है। इन कल्पनाओं में मैं तुम्हारी बांहों में भरे-भरे ही जाने कितनी प्रार्थनाएं करती हूं और अपने समूचे प्रेम और समर्पण की शक्ति से दुआ करती हूं कि ईश्वर तुम्हें जल्दी से मेरे पास लौटा लाए और हमेशा-हमेशा मेरी बांहों में सुरक्षित रखे में अभिव्यक्त नहीं कर सकती कि तुम मुझे कितने प्रिय हो, मेरे दिल के बादशाह, मेरे प्रीतम, मेरे पति । ईश्वर तुम्हारी रक्षा करे और मेरे कहे खजाने मेरे बच्चे की भी में तुम्हें चुबने से ढंकती है। जब भी उदास महसूस करो तो छोटे बेबी के कमरे में चले जाना। कुछ देर उसके पास बैठना। उसे घूमने से तुम्हे गर्माहट और शांति महसूस होगी। मेरी जिंदगी के सूरज, में अपना पूरा प्यार तुम्हारे पास भेज रही हूं ठीक से सोना मेरा दिल और मेरी आत्मा हमेशा तुम्हारे करीब है मेरी प्रार्थनाओं का कवच तुम्हारे आस-पास है। ईश्वर और पवित्र विर्जिन कभी भी तुम्हारा साथ नहीं छोड़ेंगे।

हमेशा-हमेशा तुम्हारी,
तुम्हारी अपनी

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