spot_img
HomeBhopalBhopal : शौर्य और पराक्रम की गाथा रानी पद्मिनी-पद्मावती की विशालकाय भव्य...

Bhopal : शौर्य और पराक्रम की गाथा रानी पद्मिनी-पद्मावती की विशालकाय भव्य प्रतिमा का अनावरण

महारानी पद्मावती की प्रतिमा शौर्य व बलिदान का प्रेरणास्थलः शिवराज चौहान

भोपाल : राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को राजधानी के मनुआभान टेकरी पर महारानी पद्मावती की प्रतिमा का अनावरण करते हुए कहा कि आने वाली पीढ़ियां महारानी पद्मावती के शौर्य और बलिदान की गौरव गाथा से परिचित हों, इसलिए उनकी विशाल और भव्य प्रतिमा लगाई गई है। यह लोगों के लिए प्रेरणा स्थल होगा।

मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि भारतीय शौर्य एवं पराक्रम की प्रतीक महारानी पद्मावती की प्रतिमा स्थापना से एक संकल्प पूरा हुआ। महारानी पद्मावती ने अपने स्वाभिमान और देश के गौरव की रक्षा के लिए स्वयं को अग्नि में समर्पित कर दिया। उनकी मूर्ति स्थापित करने के साथ इस स्थल को विकसित किया जा रहा है, जिससे युवा पीढ़ी महारानी के संघर्ष से प्रेरणा ले सके और अपने धर्म, संस्कृति और जीवन मूल्यों को न भूलें। महारानी पद्मावती की मूर्ति का प्रारूप एल.एन. भावसार द्वारा तैयार किया गया और मूर्तिकार प्रभात राय हैं।

इस अवसर पर केंद्रीय कृषि एवं किसान-कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और महाराणा प्रताप के वंशज महाराज कुमार डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ सहकारिता मंत्री अरविंद सिंह भदौरिया, संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री उषा ठाकुर, औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन मंत्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव, चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग, पूर्व मंत्री रामपाल सिंह, भोपाल महापौर मालती राय, विधायक रामेश्वर शर्मा, पूर्व महापौर आलोक शर्मा भी साथ थे।

महारानी पद्मावती की गौरवगाथा

भारतीय इतिहास में पद्मावती की गाथाएं अमर हैं। पद्मिनी 13वीं-14वीं सदी की महान भारतीय नारियों में चित्तौड़ की महारानी हैं। इतिहास में रानी पद्मावती की सुंदरता के साथ शौर्य और बलिदान के भी विस्तृत वर्णन मिलते हैं। रानी पद्मावती के जीवन की कहानी वीरता, त्याग, त्रासदी, सम्मान और छल को दिखाती है। पद्मावत के बारे में जब मलिक मोहम्मद जायसी ने 1540 में लिखा, वह पद्मावती के बारे में लिखित दस्तावेज के रूप में ये इतिहास में दर्ज हो गया। यह ग्रंथ रानी पद्मावती के साथ घटी घटना के 240 सालों बाद लिखा गया था। पद्मावत कविता में कवि ने उनकी सुन्दरता को बहुत अच्छे ढंग से प्रस्तुत किया है। उनके अनुसार पद्मावती के पास सुंदर तन और मन दोनों थे, साथ ही वे शूरवीर क्षत्राणी थीं।

खिलजी 1296 से 1316 तक दिल्ली की गद्दी पर बैठा। खिलजी ने 1303 में चित्तौड़ पर हमला किया, जहां के राजा रत्न सिंह की पत्नी का नाम पद्मिनी या कहें पद्मावती था। ब्रिटिश अधिकारी जेक्वस टॉड (1782-1835) ने राजस्थान के चारणों से सुने वृत्तांतों के आधार पर जो लेखन किया, उसमें भी उन्होंने पद्मावती का बहुत ही सम्मान के साथ जिक्र किया है। जायसी से करीब आधी सदी बाद लिखी गई आईने अकबरी में भी उल्लेख आया है।

आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने पद्मावत की वृहद मीमांसा की थी, जिसमें उन्होंने जायसी के इतिहास और भूगोल के ज्ञान को व्यवहारिकता से तथ्यों के आधार पर देखने का प्रयत्न किया और वे इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि अलाउद्दीन के समय की और घटनाओं का भी जायसी को पूरा पता था। आचार्य शुक्ल की तरह ही आगे हजारी प्रसाद द्विवेदी भी उन तथ्यों पर विश्वास करते हैं जिसमें दसवीं सदी के मयूर कवि के पद्मावती-कथा नाम के एक काव्य का उल्लेख किया गया मिलता है।

spot_imgspot_imgspot_img
इससे जुडी खबरें
spot_imgspot_imgspot_img

सबसे ज्यादा पढ़ी जाने वाली खबर