शारीफ अंसारी
भिवंडी : भिवंडी मनपा शिक्षण समिति की उदासीनता के कारण घोषित 26 अवैध स्कूल आज भी बदस्तूर जारी हैं,जिसके कारण इसमें शिक्षा ग्रहण करने वाले बच्चों का भविष्य अंधेरे में पड़ गया है। हैरत की बात यह कि मनपा की घोषणा के दस माह बाद न तो एक भी अवैध स्कूल बंद हुए और न ही उन पर दंडात्मक कार्रवाई की गई। मनपा शिक्षण समिति की कार्यप्रणाली पर जहां सवालियां निशान लग गया है,वहीं स्कूल माफियाओं व अधिकारियों की सांठगांठ का भी आरोप लग रहा है। गौरतलब हो कि भिवंडी मनपा शिक्षण समिति द्वारा मनपा सीमान्तर्गत चल रहे कुल 26 विद्यालयों को अवैध घोषित किया गया है, जिसमें आठ शाला उर्दू माध्यम की शेष 18 शालाएं इंग्लिश मीडियम की हैं। शिक्षण समिति ने शहर के तमाम अवैध स्कूलों को नोटिस भेजकर तत्काल स्कूल बंद करने को कहा गया था।
अवैध शालाओं की लिस्ट बोर्ड पर लगाई गई
साथ ही शिक्षण मंडल कार्यालय मंडई में अवैध शालाओं की लिस्ट बोर्ड पर लगाई गई है,ताकि अभिभावक अवैध स्कूलों में अपने बच्चों को प्रवेश न दिलाए। इतना ही नहीं अवैध रूप से शाला चला रहे संचालकों को चेतावनी दी गई थी कि शिक्षा विभाग द्वारा जारी शिक्षण नियमों के तहत ही शहर में शालाएं चलेंगी। शहर में अवैध स्कूल चालू मिलने पर एक लाख रुपए का दंड और प्रत्येक दिन दंड की रकम में 10 हजार रुपए की बढोत्तरी करने के लिए चेतावनी भी दी गई थी। बावजूद मनपा प्रशासन की उदासीनता से शहर के अवैध स्कूल छह माह से बदस्तूर चल रहे हैं।मनपा शिक्षण समिति ने न ही अवैध स्कूलों को बंद कराया और न ही उन पर दंडात्मक कार्रवाई की गई।
सहायक आयुक्त को नहीं है अवैध स्कूलों की जानकारी
भिवंडी मनपा शिक्ष विभाग की सहायक आयुक्त प्रणाली घोंगे से इस संदर्भ में बात करने पर उन्होंने बताया कि न तो उन्होंने अवैध स्कूलों के बारे में कोई जानकारी है और न ही उन पर लगाए जाने वाले दंड की। लोगों ने आरोप लगाते हुए कहा है कि अवैध स्कूलों को सहायक आयुक्त का संरक्षण प्राप्त है। जो सहायक आयुक्त पद की गरिमा को दूषित कर रही है। स्थानीय लोगों ने अभिभावकों के साथ ही सहायक आयुक्त पर भी कार्रवाई की मांग की है। इधर गैरजिम्मेदार अधिकारियों के कारण अवैध स्कूलों में शिक्षा ग्रहण कर रहे छात्रों का भविष्य अंधेरे में है।