अरे, मेरे प्रताड़ित पुरखोंतुम्हारी स्मृतियाँइस बंजर धरती के सीने परअभी ज़िन्दा हैंअपने हरेपन के साथ
तुम्हारी पीठ परचोट के नीले गहरे निशानतुम्हारे साहस और धैर्य...
चाहता हूंहोली खेलने से पहलेनहाकर, सारा मैल धोकरस्वयं को चमका लूं
कि हर रंगबहुत गहरे उतरेऔर मन में अंकित कर देजीवन का इन्द्रधनुषी पहलू।
चाहता हूंहोली...