अमीर खुसरो
आ घिर आई दई मारी घटा कारी
बन बोलन लागे मोर
दैया री बन बोलन लागे मोर।
रिम-झिम रिम-झिम बरसन लागी छाई री चहुं ओर।
आज बन बोलन लागे मोर।
कोयल बोले डार-डार पर पपीहा मचाए शोर।
आज बन बोलन मोर
ऐसे समय साजन परदेस गए बिरहन छोर।
आज बन बोलन मोर
कवि परिचय :
हिन्दी में खड़ी बोली के पहले कवि होने का दर्जा अमीर खुसरो को प्राप्त है। वे प्रथम मुस्लिम कवि थे, जिन्होंने हिन्दी शब्दों को कविताओं में खूब स्थान दिया। उनमें हिंदी, हिन्दवी और फारसी में एक साथ लिखने की प्रतिभा थी। 1253 में उत्तर प्रदेश में जन्में इस महान कवि ने मन को छू लेने वाली कविताएं लिखीं।