
रोजाना एक कविता : आज पढ़े आशीष मोहन की कविता .युद्ध:

इक्कीसवीं सदी के सीने में कैंसर
श्रेय लेने की लड़ाई लड़ रहे होते
दो आदमी, दो गांव, दो शासक
या आपस में दो देश
कि इसे मैं पढ़ाऊँगा
इस पिछड़े देश को मैं उन्नत और आधुनिक बनाऊँगा
गरीब आदिवासी भाइयों तक
शिक्षा, वस्त्र और औषधि पहुँचाऊँगा
तो बेहद
खुशी होती
वो लड़ रहे हैं
जमीन के लिए
छीनने के लिए एक-दूसरे का अस्तित्व
मानों इक्कीसवीं सदी के सीने में
हो गया है भयंकर कैंसर
इससे बड़ा रोग और दुःख
भला और क्या हो सकता है
इक्कीसवीं सदी के लिए…!