नई दिल्ली : लाइलाज बीमारी से पीड़ित मरीजों से सिर्फ चार शर्तों पर ही लाइफ सपोर्ट सिस्टम (जीवन रक्षक प्रणाली) हटाया जा सकेगा। इस संबंध में केंद्र सरकार नए दिशा निर्देश ले कर आई है। इन दिशानिर्देशों के अनुसार, यदि किसी लाइलाज बीमारी से पीड़ित मरीज के लिए लाइफ सपोर्ट जारी रखना बेमानी हो और मरीज के परिवार या प्रतिनिधि भी इस बात से सहमत हों, तो अस्पताल के मेडिकल बोर्ड की अनुमति से लाइफ सपोर्ट सिस्टम हटाया जा सकता है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने 20 अक्टूबर तक इस ड्राफ्ट पर राय मांगी है।
क्यों आवश्यक हैं नए दिशा-निर्देश
सार्वजनिक टिप्पणी के लिए जारी किए गए मसौदा दिशा-निर्देशों में मंत्रालय ने कहा है कि आईसीयू में भर्ती कई मरीज गंभीर रूप से बीमार होते हैं और उन्हें जीवन रक्षक उपचार (एलएसटी) से लाभ मिलने की उम्मीद नहीं होती है, जिसमें मैकेनिकल वेंटिलेशन, सर्जिकल प्रक्रियाएं शामिल हैं। इसके साथ पैरेंट्रल पोषण ( शरीर में पोषण पहुंचाने का एक तरीका है जिसमें नसों के ज़रिए भोजन दिया जाता है) और एक्स्ट्राकोर्पोरियल मेम्ब्रेन ऑक्सीजनेशन यानि परिष्कृत जीवन समर्थन तकनीक जिसका उपयोग रक्त को ऑक्सीजन देने और शरीर से कार्बन डाइऑक्साइड को हटाने के लिए किया जाता है, जब फेफड़े ठीक से काम नहीं कर रहे होते हैं, को भी शामिल किया गया हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार ऐसी परिस्थितियों में, लाइफ स्पोर्ट सिस्टम (एलएसटी) का कोई लाभ नहीं होता और मरीजों के परिजनों पर अनावश्यक आर्थिक बोझ पड़ता है जो उनकी पीड़ा को बढ़ाता है। ऐसे गंभीर रोगियों को, जिन्हें जीवन रक्षक प्रणाली पर रखे जाने के बाद भी सुधार की संभावना न के बराबर हो, इस प्रणाली पर बनाए रखना अनुचित माना जाता है। सुधार ने होने के बावजूद लाइफ सपोर्ट सिस्टम को बनाए रखने से मरीज के परिवार में भावनात्मक तनाव और आर्थिक कठिनाई के साथ पेशेवर मेडिकल देखभाल करने वालों के लिए भी नैतिक संकट पैदा हो जाता है। ऐसे मरीजों में एलएसटी को वापस लेना दुनिया भर में आईसीयू देखभाल का एक मानक माना जाता है और कई अदालतों ने इसका समर्थन किया है। इसलिए स्वास्थय मंत्रालय ने इस पर लोगों की राय मांगी है।
क्य़ा हैं चार शर्तें
लाइलाज बीमारी से ग्रसित मरीजों से सिर्फ चार शर्तों पर ही लाइफ सपोर्ट सिस्टम हटाया जा सकेगा। इन दिशानिर्देशों के अनुसार, यदि एक लाइलाज बीमारी से पीड़ित मरीज के लिए लाइफ सपोर्ट जारी रखना बेमानी हो और मरीज के परिवार या प्रतिनिधि भी इस बात से सहमत हों, तो अस्पताल के मेडिकल बोर्ड की अनुमति से लाइफ सपोर्ट हटाया जा सकता है। नए दिशा-निर्देश के अनुसार चार शर्तें हैं जिसमें एक अंग प्रत्यापर्ण को लेकर बनाए गए अधिनियम के अनुसार किसी भी व्यक्ति को ब्रेनस्टेम डेथ घोषित किया जाता है। दूसरा, विशेषज्ञों के अनुसार अगर मरीज की बीमारी लाइलाज है और चिकित्सीय हस्तक्षेपों से लाभ होने की संभावना नहीं है । तीसरा अगर मरीज के परिजनों ने लाइफ स्पोर्ट सिस्टम को हटाने की अनुमति दी हो और चौथा सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित प्रक्रिया का अनुपालन इसमें शामिल हो। स्वास्थ्य मंत्रालय ने दिशा-निर्देशों पर मांगी लोगों की राय लाइलाज बीमारी से पीड़ित मरीजों से सिर्फ चार शर्तों पर ही लाइफ सपोर्ट सिस्टम हटाने के संबंध में स्वास्थ्य मंत्रालय ने लोगों और स्टेक होल्डरों से 20 अक्टूबर तक इस ड्राफ्ट पर राय मांगी है। लोग अपनी राय सीधे स्वास्थ्य मंत्रालय को या फिर उसकी वेबसाइट पर भेज सकते हैं। लोगों से मिले सुझावों के आधार पर स्वास्थ्य मंत्रालय इस पर अंतिम दिशा-निर्देश तैयार करेगा।