उस औरत की गोद में बच्चा

0
180

इब्बार रब्बी

उस औरत की गोद में बच्चा
मैं बच्चे को देख रहा हूं
और औरत को।

मैं मैं नहीं रहा
गोद में हो गया
फूल की तरह भारहीन
गीत की तरह कोमल
उस औरत की गोद में।

लाख-लाख औरतों की गोद में
धरती की गोद में
पुरानी, बहुत पुरानी कब्र की तरह।

कवि परिचय :

इब्बार रब्बी की कविता भावुक मन की कई परतें खोलती हैं। इन्होंने आदिवासियों और दलितों के साथ लंबे अनुभव को कविता में ढाला और वंचित जन की आवाज बने। इनकी प्रमुख कृतियां हैं-वर्षा में भीगकर, खांसती हुई नदी, घोषणा पत्र, लोगबाग।