शिमला : (Shimla) हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में अगस्त माह के दौरान हुई मूसलधार बारिश ने 76 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया। पूरे प्रदेश में औसतन 431.3 मिलीमीटर वर्षा दर्ज हुई, जबकि सामान्य वर्षा 256.8 मिलीमीटर रहती है। इस तरह इस बार अगस्त में सामान्य से 68 प्रतिशत अधिक बारिश हुई। यह वर्ष 1901 से अब तक का नौवां सबसे ज्यादा बारिश वाला अगस्त रहा। 1949 के बाद पहली बार अगस्त माह में इतनी अधिक वर्षा दर्ज हुई है। अगस्त माह में अब तक का सबसे अधिक वर्षा का रिकॉर्ड वर्ष 1927 में बना था, जब 542.4 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई थी।
मौसम विज्ञान केंद्र शिमला (Meteorological Center Shimla) से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार इस बार लगभग सभी जिलों में सामान्य से अधिक वर्षा दर्ज हुई। कुल्लू जिले में सामान्य 180.2 मिलीमीटर के मुकाबले 477.5 मिलीमीटर बारिश हुई जो 165 प्रतिशत अधिक है। शिमला जिले में 196.4 मिलीमीटर सामान्य के मुकाबले 438 मिलीमीटर वर्षा हुई यानी 123 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई। सोलन में सामान्य 287.9 मिलीमीटर के मुकाबले 627.9 मिलीमीटर बारिश हुई, जो 118 प्रतिशत अधिक रही।
ऊना जिला (Una district) भी बारिश में आगे रहा। यहां सामान्य 372.2 मिलीमीटर के मुकाबले 815.1 मिलीमीटर वर्षा दर्ज हुई, जो 119 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्शाती है। चंबा जिले में 291.7 मिलीमीटर सामान्य वर्षा के मुकाबले 561.6 मिलीमीटर बारिश हुई यानी 93 प्रतिशत अधिक। बिलासपुर जिले में सामान्य 316.8 मिलीमीटर के मुकाबले 598.7 मिलीमीटर वर्षा हुई जो 89 प्रतिशत अधिक रही।
किन्नौर जिले (Kinnaur district) में भी सामान्य 77.6 मिलीमीटर के मुकाबले 143.3 मिलीमीटर बारिश दर्ज हुई यानी 85 प्रतिशत की बढ़ोतरी। हमीरपुर में सामान्य 400.6 मिलीमीटर के मुकाबले 617.9 मिलीमीटर बारिश हुई यानी 54 प्रतिशत अधिक। सिरमौर जिले में 402.1 मिलीमीटर सामान्य के मुकाबले 557.5 मिलीमीटर वर्षा हुई, यानी 39 प्रतिशत की वृद्धि।
कांगड़ा जिले (Kangra district) ने इस बार सबसे अधिक वर्षा का रिकॉर्ड बनाया। यहां सामान्य 631.5 मिलीमीटर के मुकाबले 816.2 मिलीमीटर बारिश दर्ज हुई यानी 29 प्रतिशत अधिक। सबसे कम बढ़ोतरी लाहौल-स्पीति जिले में रही, जहां सामान्य 117.6 मिलीमीटर के मुकाबले 129.7 मिलीमीटर वर्षा हुई, यानी केवल 10 प्रतिशत की वृद्धि। वहीं मंडी जिले में सामान्य 395.3 मिलीमीटर के मुकाबले 667.9 मिलीमीटर वर्षा हुई यानी 69 प्रतिशत अधिक।
बारिश की इस असामान्य बढ़ोतरी से प्रदेश के कई हिस्सों में भूस्खलन, बाढ़ और जनजीवन अस्त-व्यस्त रहा। इस दौरान कई लोगों की जान गई औऱ सम्पति को करोड़ों का नुकसान हुआ।