spot_img
Homecrime newsPRAYAGRAJ : सामूहिक धर्म परिवर्तन मामले में शुआट्स कुलपति की जमानत अर्जी...

PRAYAGRAJ : सामूहिक धर्म परिवर्तन मामले में शुआट्स कुलपति की जमानत अर्जी खारिज

प्रयागराज : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सामूहिक धर्म परिवर्तन के एक मामले में सैम हिगिनबॉटम यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर, टेक्नोलाजी एंड साइंसेज (शुआट्स) के कुलपति डॉ. राजेंद्र बिहारी लाल और संस्थान के निदेशक विनोद बिहारी लाल की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी है।

अदालत ने कहा, “ये प्रभावशाली लोग हैं और परोपकारी कार्यों के पीछे इनकी मंशा संदिग्ध प्रतीत होती है।”

न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान ने मंगलवार को कहा कि याचिकाकर्ता अग्रिम जमानत पर रिहा हुए अन्य लोगों से समानता का दावा नहीं कर सकते। पीठ ने कहा कि जांच एजेंसी द्वारा सामूहिक धर्म परिवर्तन से जुड़े ऐसे साक्ष्य एकत्रित किए जा रहे हैं जिनसे समाज का एक बड़ा तबका प्रभावित होता है, इसलिए यह गंभीर अपराध से जुड़ा मामला है और इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता।

अदालत ने कहा, “मौजूदा प्राथमिकी और जांच के दौरान मिले साक्ष्यों के मुताबिक इस मामले में लोगों की भावनाएं शामिल हैं जहां भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश में इससे शांति और सौहार्द बिगड़ेगा।”

इसने कहा कि इस मामले के लंबित रहने के दौरान याचिकाकर्ताओं को जांच अधिकारी के समक्ष पेश होने की शर्त के साथ अंतरिम सुरक्षा दी गई थी, हालांकि वे इस अदालत के निर्देशों का अनुपालन करने में विफल रहे और उनका असहयोग दर्शाता है कि इस जांच में सहयोग करने का उनका कोई इरादा नहीं है।

इस मामले में हिमांशु दीक्षित नाम के एक व्यक्ति की शिकायत पर 15 अप्रैल, 2022 को प्राथमिकी दर्ज की गई थी जिसमें आरोप लगाया गया था कि फतेहपुर के हरिहरगंज में स्थित एवांजेलिकल चर्च ऑफ इंडिया में हिंदू धर्म के करीब 90 व्यक्तियों को ईसाई धर्म में परिवर्तित करने के लिए इकट्ठा किया गया था। इन लोगों पर अनुचित दबाव बनाने के साथ ही इन्हें लालच दिया गया था।

इस सूचना पर सरकारी अधिकारी उस स्थान पर पहुंचे और पादरी विजय मसीह से पूछताछ की जिसने कथित तौर पर यह खुलासा किया कि धर्म परिवर्तन की प्रक्रिया पिछले 34 दिन से चल रही थी और यह 40 दिन में पूरी होने वाली थी।

मसीह ने कथित तौर पर यह भी बताया था कि वे मिशन हॉस्पिटल में भर्ती मरीजों का भी धर्म परिवर्तन करने का प्रयास करते रहे हैं और इसमें कर्मचारियों ने अहम भूमिका निभाई।

इसके बाद, सरकारी अधिकारियों ने प्राथमिकी में 35 लोगों को नामजद किया और 20 अज्ञात लोगों के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया।

मौजूदा मामले में याचिकाकर्ताओं ने दलील दी थी कि प्राथमिकी में उनके नाम नहीं थे, बल्कि दो गवाहों के बयान के आधार पर बाद में उनके नाम जोड़े गए और उन्हें फंसाया गया। उन्होंने कहा था कि इस मामले में जांच अधिकारी उनके प्रति दुर्भावना से ग्रस्त है।

spot_imgspot_imgspot_img
इससे जुडी खबरें
spot_imgspot_imgspot_img

सबसे ज्यादा पढ़ी जाने वाली खबर