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Mumbai : भाषाई पत्रकारों को संगठित होकर संघर्ष करना आवश्यक: आरके सिन्हा

मुंबई : राज्यसभा के पूर्व सदस्य और हिन्दुस्थान समाचार के पूर्व अध्यक्ष रवींद्र किशोर सिन्हा ने कहा कि देश में भाषाई पत्रकारों को संगठित होकर संघर्ष करना आवश्यक हो गया है। आरके सिन्हा ने कहा कि भाषाई पत्रकारों का संबंध सीधे आम जनता से जुड़ा है जबकि अंग्रेजी का ग्राफ बहुत कम है लेकिन वे सर्वाधिक सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं।

आरके सिन्हा मुंबई में मराठी पत्रकार संघ की ओर से आयोजित भारत में भाषाई पत्रकारिता-वर्तमान और भविष्य कार्यक्रम के परिसंवाद कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि देश की पत्रकारिता की नस जमीन से जुड़ी हुई है। देश के 97 फीसदी भाषाई पत्रकार भाषाई पत्रकारिता भाषाई पत्रकारों की ओर से की जा रही है लेकिन उनके लिए सरकारी फंड की सुविधा मात्र तीन फीसदी है जबकि अंग्रेजी पत्रकारिता के लिए फंड की सुविधा 97 फीसदी है।

आरके सिन्हा ने कहा कि यह बहुत ही अजीब स्थिति है, इसमें बदलाव की जरुरत है, जिसे सभी लोगों को साथ मिलकर संघर्ष करने के बाद भी मुमकिन है। इस अवसर पर सिन्हा ने कहा कि पत्रकारिता व्यवसाय न केवल आजीविका व्यवसाय है बल्कि लोकतंत्र का चौथा स्तंभ भी है। भाषाई पत्रकारिता की जड़ जमीन से जुड़ी होती है, यह भाषाई पत्रकार जानते हैं। इसलिए इसकी तुलना अंग्रेजी से नहीं की जा सकती। अंग्रेजी पत्रकारिता की बात करते हुए उन्होंने कहा कि हर साल अंग्रेजी पढ़ने वालों की संख्या घट रही है। वर्तमान में यह पांच प्रतिशत से घटकर तीन प्रतिशत पर आ गया है। लेकिन हर भाषा में पाठकों का ग्राफ बढ़ रहा है। मराठी का ग्राफ छह फीसदी से 10 फीसदी पर पहुंच गया है। अंग्रेजी के मुकाबले यह ग्राफ तीन गुना बढ़ा है। इसमें तमिल, बांग्ला, कन्नड़, तेलुगु आदि सभी भाषाएं शामिल हैं।

सिन्हा ने कहा कि हिंदी भाषा का ग्राफ 12 फीसदी पर पहुंच गया है।उर्दू के पाठक सीमित हैं। किसी भी स्थान पर एक उर्दू पाठक एक उर्दू समाचार पत्र के साथ दूसरी भाषा का समाचार पत्र खरीद रहा है।

सिन्हा ने यह भी कहा कि एक सर्वे से साफ है कि महाराष्ट्र में उर्दू के पाठक कम से कम एक मराठी अखबार जरूर पढ़ते हैं। राजस्व का 97 प्रतिशत अंग्रेजी अखबारों को जाता है। जबकि 3 फीसदी भाषाई अखबारों को दिया जाता है। इसलिए सिन्हा ने कहा कि अगर इसमें बदलाव होता है तो सभी भाषाई अखबारों के पत्रकारों को एकजुट होकर संगठित होना होगा। डिजिटल मीडिया के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि अखबार की विश्वसनीयता होती है। इसलिए अखबार के प्रति पाठक का नजरिया अलग होता है। समाचार पत्रों का वितरण बढ़ाना एक बहुत ही कठिन कार्य है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रिंट मीडिया के साथ-साथ डिजिटल प्लेटफॉर्म भी फायदेमंद हो सकते हैं।

रवींद्र किशोर सिन्हा ने कहा कि आजादी के बाद जब मालिक के स्वामित्व वाले समाचार पत्र शुरू किए जा रहे थे, उसी समय 1948 में बिना किसी मालिक के हिस्से के हिंदुस्तान समाचार एजेंसी शुरू की गई थी और यह 14 से 15 भाषाओं में समाचार देने का काम कर रही है।

मुंबई मराठी पत्रकार संघ की ओर से रवींद्र किशोर सिन्हा का सम्मान किया गया । इस अवसर पर मुंबई मराठी पत्रकार संघ के अध्यक्ष नरेंद्र वी वाबले ,भाजपा नेता कृपा शंकर सिंह, पत्रकार संघ के कार्यकारी अधिकारी संदीप चव्हाण, ट्रस्टी राही भिड़े, वरिष्ठ पत्रकार राममोहन पाठक, पत्रकार संघ के कार्यकारी सदस्य आत्माराम नाटेकर आदि उपस्थित थे।

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