Mumbai : हिंदी-मराठी विवाद से महाराष्ट्र में निवेश पर असर पर पड़ेगा : राज्यपाल

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मुंबई : (Mumbai) महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन (Maharashtra Governor CP Radhakrishnan) ने बुधवार को राजभवन में कहा कि हिंदी-मराठी विवाद से महाराष्ट्र में निवेश पर असर पर पड़ेगा। इसलिए मामूली फायदे की वजाय भविष्य के फायदे पर सोचना सभी को जरुरी है। राज्यपाल ने मराठी न बोलने के मुद्दे पर महाराष्ट्र में हुई दुर्व्यवहार की घटनाओं पर चिंता जताई है।

राज्यपाल आज मुंबई स्थित राजभवन (Raj Bhavan in Mumbai) में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि “आजकल मैं अखबारों में देख रहा हूं कि लोग कह रहे हैं कि अगर आप मराठी नहीं बोलेंगे, तो आपको पीटा जाएगा। तमिलनाडु में भी यही हुआ है।” तमिलनाडु की घटना का जिक्र करते हुए राज्यपाल ने कहा, “जब मैं सांसद था, तब मैं बहुत काम करता था। एक बार, जब मैं हाईवे पर था, तो दो समूहों के बीच झगड़ा हो गया। मैंने अपने ड्राइवर से गाड़ी रोकने को कहा और मैं नीचे उतरकर देखने लगा कि मामला क्या है। मुझे देखकर कुछ लोग भाग गए। फिर मैंने उस समूह से पूछा जो मुझे पीट रहा था कि क्या समस्या है। वे मुझसे हिंदी में बात करने लगे। मुझे हिंदी अच्छी तरह नहीं आती, इसलिए मैंने पास के एक होटल मालिक से पूछा कि ये लोग क्या कह रहे हैं। होटल मालिक ने कहा कि उन्हें इसलिए पीटा जा रहा है क्योंकि वे हिंदी में बात कर रहे थे और दूसरा समूह उनसे तमिल बोलने पर ज़ोर दे रहा था ।”

राज्यपाल ने कहा, “आज भी यही स्थिति है। अगर आप मुझे पीटेंगे, तो क्या मैं तुरंत मराठी नहीं बोलने लगूंगा? मैंने पीटे गए समूह से माफ़ी मांगी, उनके खाने का इंतज़ाम किया और जब तक वे ठीक नहीं हो गए, तब तक वहाँ से नहीं गया।” राज्यपाल ने यह भी आशंका जताई कि अगर इस तरह की भाषाई नफऱत दिखाई गई, तो निवेशक राज्य से दूर हो जाएंगे। राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन (Governor CP Radhakrishnan) ने कहा, “अगर हम नफऱत फैलाएँगे, तो कौन सा निवेशक हमारे राज्य में आएगा? अगर हम लंबे समय के बारे में सोचें, तो हम सिर्फ़ महाराष्ट्र को नुकसान पहुँचा रहे हैं। हमें तुच्छ राजनीतिक फ़ायदे के लिए ऐसी चीज़ें नहीं करनी चाहिए।”

राज्यपाल ने कहा कि “हमें ज़्यादा से ज़्यादा भाषाएं सीखनी चाहिए,” राज्यपाल ने यह भी कहा, “गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों की संख्या 30 प्रतिशत से लेकर 5-7 प्रतिशत तक है और उनमें से ज़्यादातर हिंदी भाषी हैं। अगर हमें गऱीबों की समस्याओं को समझना है, तो हमें उनकी भाषा भी समझनी होगी। हमें ज़्यादा से ज़्यादा भाषाएं सीखनी चाहिए, अपनी मातृभाषा पर गर्व करें। इसमें कोई समझौता नहीं है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम दूसरों की मातृभाषा से नफऱत करें। हमें एक-दूसरे के प्रति सहिष्णु होना चाहिए ।”