motivational story : वास्तविक संयम

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एक बार महामना पण्डित मदनमोहन मालवीय की भेंट मुंबई के प्रसिद्ध विद्वान पण्डित रमापति मिश्र से रामेश्वर दास बिड़ला के निकेतन में हुई। बातचीत के दौरान रमापति मिश्र ने अपने संयम शक्ति की तारीफ करते हुए मालवीय से कहा कि वह उन्हें सौ अपशब्द कहें, फिर भी उन्हें तनिक भी क्रोध न आयेगा।

यह सुनकर मालवीय जी अत्यन्त गम्भीर हो गए। उन्होंने मिश्रजी से कहा- “महाराज! आपके क्रोध की परीक्षा तो सौ अपशब्दों के पश्चात् होगी, परन्तु मेरा मुख तो पहली ही गाली से गन्दा हो जायेगा।’ मालवीय के मुख से इस संक्षिप्त एवं सारमय उत्तर को सुनकर मिश्र जी अवाक् रह गए।