नई दिल्ली : (New Delhi) दिल्ली की साकेत कोर्ट (Delhi’s Saket Court) ने नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर की ओर से दिल्ली के उप-राज्यपाल वीके सक्सेना के खिलाफ दायर 24 साल पुराने आपराधिक मानहानि मामले की सुनवाई काे टाल दिया है। जुडिशियल मजिस्ट्रेट राघव शर्मा (Judicial Magistrate Raghav Sharma) ने मामले की अगली सुनवाई 23 जुलाई को करने का आदेश दिया।
शुक्रवार काे सुनवाई के दौरान मेधा पाटकर के वकील प्रीतेश पटनी (Preetesh Patni) ने कहा कि उनकी अतिरिक्त गवाहों को समन करने की अर्जी खारिज करने के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है और हाई कोर्ट में इस मामले पर 14 और 15 जुलाई को सुनवाई होनी है। उसके बाद कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 23 जुलाई को करने का आदेश दिया।
दरअसल कोर्ट ने 18 मार्च को मेधा पाटकर की ओर से अतिरिक्त गवाहों को समन करने की अर्जी खारिज कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि ये मामला 24 साल पुराना है और मेधा पाटकर की ओर से दिए गए सभी गवाहों के बयान दर्ज कर लिए गए हैं। कोर्ट ने कहा था कि मेधा पाटकर ने भले ही अतिरिक्त गवाहों के बयान दर्ज करने की मांग की है लेकिन अर्जी में किस गवाह के बयान दर्ज कराना चाहती हैं इसका उल्लेख तक नहीं है। और वो भी इतने साल बीतने के बाद। यहां तक कि 24 सालों के ट्रायल के दौरान किसी नये गवाह के नाम का उल्लेख भी कहीं नहीं आया है। ऐसे में शिकायतकर्ता की अर्जी सही प्रतीत नहीं होती है।
दरअसल मेधा पाटकर ने दिल्ली के उप-राज्यपाल और खादी ग्रामोद्योग निगम के पूर्व चेयरमैन वीके सक्सेना (Chairman of Khadi Village Industries Corporation VK Saxena) के खिलाफ मानहानि का केस दायर किया है। ये केस जब दायर किया गया था उस समय अभियुक्त वीके सक्केना नेशनल काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज के अध्यक्ष थे। वीके सक्सेना की ओर से दायर एक आपराधिक मानहानि के मामले में मेधा पाटकर को साकेत कोर्ट के मजिस्ट्रेट कोर्ट ने सजा सुनाई है।