spot_img
Homeigr newsmotivational story : बरामदे में गांधी

motivational story : बरामदे में गांधी

गांधीजी के आश्रम में सभी सामूहिक रसोईघर में भोजन करते थे। गांधी जी भी वहां पर सभी के साथ भोजन करते थे। भोजन आरंभ होने से पूर्व दो बार घण्टी बजाई जाती थी।

जो व्यक्ति दूसरी घण्टी बजाए जाने तक भी भोजनालय में नहीं पहुंचता था उसे अपनी बारी के लिए बरामदे में प्रतीक्षा करनी पड़ती थी, क्योंकि दूसरी घण्टी बजते ही रसोईघर का द्वार बंद कर दिया जाता था, ताकि विलम्ब से आने वाला व्यक्ति अन्दर न आने पाए। एक दिन गांधी जी पीछे रह गए।

उनके एक साथी ने देखा कि गांधी जी बरामदे में खड़े हैं। वहां बैठने के लिए। कुर्सी या बेंच भी नहीं है। उसने विनोद में कहा बापू जी आज तो आप भी गुनाहगारों के कठघरे में आ गए हैं।

गांधी जी ने कहा भई, कानून के सामने तो सभी बराबर होते हैं। साथी ने कहा, आपके बैठने के लिए कुर्सी ले आता हूं। गांधी जी ने कहा, कुर्सी की आवश्यकता नहीं है। दण्ड पूरा ही भुगतना चाहिए। जैसे देर से आने वाले और लोग बरामदे में खड़े हैं, वैसे ही मैं भी बरामदे में खड़ा रहूंगा।

spot_imgspot_imgspot_img
इससे जुडी खबरें
spot_imgspot_imgspot_img

सबसे ज्यादा पढ़ी जाने वाली खबर