Kolkata : पापा कहां हैं, पहलगाम हमले में पिता को खो चुके मासूम के सवाल ने झकझोरा दिल

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कोलकाता : (Kolkata) पहलगाम में आतंकियों की नृशंसता ने एक मासूम की जिंदगी को ऐसी टीस दी है, जिसकी गूंज अब पूरे देश में सुनाई दे रही है। हर बार जब तीन साल का हृदान नींद से जागता है तो कांपती आवाज़ में वही सवाल दोहराता है- “पापा कहां हैं, क्या वो कहीं चले गए हैं”, लेकिन उसकी मां के पास इन सवालों का कोई जवाब नहीं। सिर्फ आंसुओं में भीगती चुप्पी है।

हृदान के पिता, बितन अधिकारी जो पश्चिम बंगाल के रहने वाले थे और पिछले कुछ वर्षों से परिवार सहित अमेरिका के फ्लोरिडा में रहते थे। वह बीते दिनों कश्मीर यात्रा के दौरान आतंकवादियों के हाथों मारे गए। फ्लोरिडा से छुट्टियां मनाने आया परिवार आठ अप्रैल को कोलकाता पहुंचा था और 16 अप्रैल को कश्मीर रवाना हुआ था। बितन की पत्नी ने बताया कि आतंकियों ने हमें अलग किया, फिर पूछा हम कहां से हैं। फिर मर्दों को अलग किया और धर्म पूछा। एक-एक कर सबको गोली मार दी। मेरे पति को मेरे बेटे के सामने मार डाला गया। मैं उसे कैसे समझाऊं कि अब उसके पिता कभी नहीं लौटेंगे?

बितन अधिकारी न केवल एक समर्पित पति और पिता थे, बल्कि कोलकाता में रह रहे अपने बुज़ुर्ग और बीमार माता-पिता की आर्थिक जिम्मेदारी भी निभा रहे थे। 87 वर्षीय पिता बीरेश्वर अधिकारी और 75 वर्षीय मां माया अधिकारी की दवाइयों और इलाज की व्यवस्था वे अमेरिका से ही करते थे।परिजनों के मुताबिक वो भले ही विदेश में रहते थे, लेकिन कभी ऐसा नहीं लगने दिया कि वो दूर हैं। मां-बाबा के हर इलाज की जिम्मेदारी उन्होंने उठाई थी। अब उनके बाद कौन देखभाल करेगा?

परिजनों को दिलाया जाए न्याय कुणाल घोष

तृणमूल कांग्रेस के नेता कुणाल घोष ने भी बितन अधिकारी के परिजनों के लिए न्याय की मांग की है। उन्होंने सोशल मीडिया पर सरकार से अपील की है कि मुआवजे की पूरी राशि सिर्फ मृतक की पत्नी को ही न दी जाए, बल्कि बुज़ुर्ग माता-पिता को भी आर्थिक सहायता प्रदान की जाए। बितन अधिकारी के माता-पिता पूरी तरह से असहाय हैं। उनका विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए। अगर कभी भविष्य में वे न रहें, तो स्वाभाविक रूप से पूरी राशि पत्नी और बेटे को मिलेगी, लेकिन अभी उनके लिए स्वतंत्र आर्थिक सुरक्षा जरूरी है। उन्होंने उम्मीद जताई कि राज्य सरकार इस अपील पर गंभीरता से विचार करेगी और केंद्र सरकार को भी इसी दिशा में कदम उठाना चाहिए।