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Kanpur: अच्छी उपज के लिए वैज्ञानिक विधि से करें अरहर की बुवाई

कानपुर :(Kanpur) अरहर फसल दलहन उत्पादन के साथ-साथ 150 से 200 किलोग्राम वायुमंडलीय नाइट्रोजन का स्थिरीकरण कर मृदा उर्वरता एवं उत्पादकता में वृद्धि करती है। यह देश की प्रमुख दलहनी फसल है और असिंचित एवं शुष्क क्षेत्र में इसकी खेती किसानों के लिए अति लाभकारी सिद्ध हो सकती है। यह जानकारी बुधवार को चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) केे दलहन अनुभाग के वैज्ञानिक डॉक्टर अखिलेश मिश्रा ने दी।

उन्होंने कहा कि अरहर मुख्य रूप से खरीफ के मौसम में जून के अन्तिम सप्ताह से जुलाई प्रथम पखवाड़े तक इसकी बुवाई की जाती है। उन्होंने बताया कि इसकी अच्छी उपज के लिए वैज्ञानिक विधि से बुवाई कर किसानों को अच्छा मुनाफा के साथ आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।

असिंचित एवं शुष्क क्षेत्रों में अरहर की खेती लाभकारी

दलहन वैज्ञानिक ने बताया कि अरहर की खेती असिंचित एवं शुष्क क्षेत्रों में करने से लाभकारी सिद्ध हो सकती है। 100 ग्राम अरहर की दाल से ऊर्जा-343किलो कैलोरी, कार्बोहाइड्रेट-62.78 ग्राम, फाइबर-15 ग्राम, प्रोटीन-21.7 ग्राम तथा विटामिन जैसे थायमीन (बी1)-0.64 3 मिलीग्राम, रिबोफैविविन (बी2)-0.187 मिलीग्राम, नियासिन (बी3)-2.965 मिलीग्राम, तथा खनिज पदार्थ जैसे कैल्शियम 130 मिलीग्राम, आयरन 5.23 मिलीग्राम, मैग्नीशियम 183 मिलीग्राम, मैग्नीज 1.791 मिली ग्राम, फास्फोरस 367 मिलीग्राम, पोटेशियम 1392 मिलीग्राम, सोडियम 17 मिलीग्राम एवं जिंक 2.76 मिलीग्राम आदि पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में मिलते हैं।

अच्छी फसल के लिए भूमि का चयन जरूरी

अरहर की अच्छी फसल के लिए जल निकास वाली हल्की दोमट एवं भारी मृदायें सर्वोत्तम होती हैं। अरहर का बीज 12 से 15 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से का कतारों से कतार की दूरी 60-75 सेंटीमीटर एवं पौधे से पौधे की दूरी 20 से 25 सेंटीमीटर पर रखकर बुवाई करनी चाहिए।

रोगों की रोकथाम

बुवाई के पूर्व ट्राइकोडरमा विरिडी 10 ग्राम प्रति किलो बीज या थीरम तथा एक ग्राम कार्बेंडाजिम से शोधित करना चाहिए तत्पश्चात पांच ग्राम राइजोबियम, पांच ग्राम पीएसबी कल्चर से प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करके बोयें। बुवाई से पूर्व 20 किलोग्राम नत्रजन, 50 किलोग्राम फास्फोरस, 20 किलोग्राम पोटाश तथा 20 किलोग्राम सल्फर गंधक प्रति हेक्टेयर बीज के नीचे देना चाहिए। 25 किलोग्राम जिंक सल्फेट अंतिम जुताई के समय खेत में मिला देने से फसल पैदावार में बढ़ोतरी होती है।

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