New Delhi : देश में शून्य खुराक वाले बच्चों का प्रतिशत घटा

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नई दिल्ली : (New Delhi) देश में शून्य खुराक वाले बच्चों का प्रतिशत साल 2023 में 0.11 से घटकर 2024 में 0.06 प्रतिशत हो गया है। बाल मृत्यु दर अनुमान के लिए संयुक्त राष्ट्र अंतर-एजेंसी समूह (United Nations Inter-Agency) की 2024 की रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है। शून्य खुराक वाले बच्चे वे हैं जिन्हें डिप्थीरिया, टेटनस और पर्टुसिस (डीटीपी) टीके की पहली खुराक नहीं मिली है।

यूएन-एमएमईआईजी 2000-2023 (UN-MMEIG 2000-2023 report) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत का एमएमआर प्रति लाख जीवित जन्मों पर 80 है, जो 1990 के बाद से 48 प्रतिशत की वैश्विक कमी के परिप्रेक्ष्य में 86 प्रतिशत की गिरावट को दर्शाता है।

यूएनआईजीएमई 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर में 78 प्रतिशत की गिरावट हासिल की है, जो वैश्विक कमी 61 प्रतिशत से ज्यादा है और नवजात मृत्यु दर में 70 प्रतिशत की गिरावट आई है, जबकि 1990 – 2023 के दौरान वैश्विक स्तर पर यह 54 प्रतिशत थी।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने शनिवार को एक बयान में बताया कि शून्य खुराक कार्यान्वयन योजना 2024 को 11 राज्यों के 143 जिलों में शुरू किया गया है, जहां टीकाकरण से वंचित बच्चों की संख्या बहुत ज़्यादा है। राज्य सरकारों के सहयोग से 2017 में तेज़ी से किए गए मिशन इंद्रधनुष के तहत 5.46 करोड़ बच्चों और 1.32 करोड़ गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण किया गया है।

राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस और उप-राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस के ज़रिए भारत ने 2014 से पोलियो-मुक्त स्थिति बनाए रखी है। टीकाकरण के प्रति भारत की अटूट प्रतिबद्धता, इसके सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम में दिखती है, जिसमें सालाना 2.9 करोड़ गर्भवती महिलाओं और 2.6 करोड़ शिशुओं (0-1 वर्ष) को निःशुल्क टीकाकरण सेवाएं दी जाती हैं। हमारे स्वास्थ्य सेवा कर्मी आशा और एएनएम देशभर में 1.3 करोड़ से अधिक टीकाकरण सत्र आयोजित करते हैं। भारत को प्रतिबद्ध प्रयासों के लिए 6 मार्च 2024 को वाशिंगटन डीसी, यूएसए में अमेरिकन रेड क्रॉस मुख्यालय में मीजल्स एंड रूबेला पार्टनरशिप (अमेरिकन रेड क्रॉस, बीएमजीएफ, जीएवीआई, यूएस सीडीसी, यूएनएफ, यूनिसेफ और डब्ल्यूएचओ) द्वारा प्रतिष्ठित मीजल्स एंड रूबेला चैंपियन पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।