Dhamtari : धमतरी जिले के मोहलई गांव में पानी के लिए टूट जाता है विवाह का रिश्ता

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धमतरी : (Dhamtari) बढ़ता प्रदूषण, कटते पेड़, शहरों में बनते कांक्रीट जंगल, मोटर पंप से भू जल का दोहन ऐसा हो रहा है कि अब कई स्थानों भूजल ही नहीं बचा है। ऐसे में ग्रामीणों को पीने का पानी भी नसीब नहीं हो पा रहा है। इसके चलते सांस्कृतिक, पारिवारिक ताना-बाना भी टूटने लगा है। जिला मुख्यालय धमतरी से 16 किलोमीटर दूर वनांचल ब्लाक नगरी के ग्राम पंचायत सियादेही के आश्रित ग्राम मोहलई इसका जीता-जागता उदाहरण है जहां पानी के लिए लड़कों का रिश्ता टूट जाता है।

जानकारी के अनुसार यहां साल के नौ माह स्थिति सामान्य रहती है, लेकिन मार्च माह शुरू होने से पहले ही जल पेयजल संकट शुरू हो जाता है। ऐसे में यहां के ग्रामीणों को हर रोज टैंकर के लिए तीन हजार रुपये खर्च करना पड़ता है, इसके बाद भी पर्याप्त पानी उपलब्ध नहीं हो पाता है। ग्रामीणों की दिक्कतों को देखने के बाद भी जिला प्रशासन गंभीर नहीं है। इससे आक्रोशित ग्रामीणों की भीड़ कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंचकर पेयजल के लिए उचित व्यवस्था करने की मांग को लेकर जमकर नारेबाजी कर प्रदर्शन किया। ग्राम पंचायत सियादेही के आश्रित ग्राम मोहलई सूखा क्षेत्र गांव है। यहां का भूजल स्तर हमेशा गिरा रहता है। पर्याप्त जलस्रोत नहीं है, ऐसे में फरवरी माह के अंतिम सप्ताह से गर्मी बढ़ते ही यहां पेयजल संकट शुरू हो जाता है। मार्च माह से पेयजल संकट विकराल हो जाता है। यह स्थिति गांव में सालों से बना हुआ है। शासन-प्रशासन भी इस गांव से वाकिफ है।

मोहलई सूखा गांव है, इसे आसपास गांवों के लोग भी जानते हैं। अप्रैल माह में पड़ रही 43 डिग्री तापमान के बीच इस गांव में इन दिनों पेयजल संकट गहरा गई है और गांव में पेयजल के लिए अब तक उचित व्यवस्था नहीं हुई है, इससे आक्रोशित ग्रामीणों की भीड़ 28 अपै्रल को कलेकट्रेट कार्यालय पहुंचकर जमकर नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन किया है। कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंचकर प्रदर्शन करने वाले ग्राम मोहलई के ग्रामीण प्रीतराम, मन्नूराम, खोरबाहरा, रायसिंग, नंदूराम, उत्तम राम, यशकरण,शिवकुमार, शारदा सोरी समेत गांव के पंचायत प्रतिनिधि व ग्रामीणों ने बताया कि पिछले वर्ष की तुलना में इस साल जल संकट गहरा गई है, इससे ग्रामीण परेशान है। ग्रामीणों के घरों के बोर सूखने लगा है। पेयजल की समस्या को देखते हुए जिला प्रशासन ने बिना अनुमति बोर खनन पर प्रतिबंध भी लगा दिया है। पेयजल संकट गहराने से गांव में टैंकर से पानी उपलब्ध कराया जा रहा है। परंतु पर्याप्त पूर्ति नहीं हो पा रही है। ग्रामीणों का आरोप है कि जल जीवन मिशन अंतर्गत बोर कनेक्शन बंद हो चुका है। ग्राम पंचायत में पर्याप्त फंड नहीं होने के कारण पेयजल आपूर्ति करने में समस्या हो रही है।

पेयजल संकट के कारण नहीं जोड़ता रिश्ता

कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंचे ग्रामीणों ने यह भी बताया कि गांव में पेयजल संकट होने की वजह से कई युवकों के विवाह का रिश्ता भी टूट गया। शादी के लिए घर देखने पहुंचने वाले लड़कियों के स्वजन गांव में पेयजल संकट को देखते हुए रिश्ता ही तोड़ देता है। ऐसे में भारी मुश्किल के बीच रिश्ता बनता है। यह बात अलग है कि यहां से बेटियां शादी होकर चली जाती है, लेकिन लोग अपनी बेटियों को इस गांव में बहू बनाकर भेजना नहीं चाह रहे हैं।

हर माह पटा रहे हैं 90 हजार रुपये टैंकर का किराया

ग्राम मोहलई की आबादी 500 है। यहां हर साल गर्मी के दिनों में पेयजल संकट होता है। यह जानते हुए भी जिला प्रशासन द्वारा इस गांव में अब तक पेयजल के लिए स्थायी व्यवस्था नहीं हो पाया है, जो चिंता का विषय बना हुआ है। यही वजह है कि ग्रामीण पेयजल संकट से निबटने के लिए चंदा एकत्रित कर एक टैंकर किराये पर लिया है। इसका हर रोज का किराया प्रतिदिन 3000 रुपये। इसमें की आधी राशि पंचायत द्वारा अदा की जानी है, लेकिन अब चंदा की राशि भी एकत्रित नहीं हो पा रही है। 90 हजार प्रतिमाह टैंकर का किराया दे पाने में पंचायत और ग्रामीण असक्षम हैं। मार्च माह से इस गांव में पानी की समस्या उत्पन्न हुई है। ग्रामीण चाहते हैं कि उनके गांव में गंगरेल बांध के सेडल डेम फुटहामुड़ा से पाइप लाइन से पानी स्थाई रूप से पहुंचाई जाए, इससे यह समस्या दूर हो सकती है। इस पर कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंचे ग्रामीणों को कलेक्टर अबिनाश मिश्रा ने उनकी समस्याओं को दूर करने का आश्वासन दिया है।