बेगूसराय:(Begusarai) राष्ट्रवादी विचारक और राज्यसभा सदस्य (सांसद) प्रो राकेश सिन्हा ने गुरुवार को कहा कि जब राजनीतिक अस्तित्व खतरे में आ गया था। तब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की विचारधारा ने, इस देश में कथित रूप से जातीय विभाजन का जो तर्क था उसे समाप्त कर दिया।
सांसद राकेश सिन्हा ने कहा कि इससे लोगों के सामने यह बात आ गई कि जाति, क्षेत्र, भाषा के नाम पर विभाजन कारी ताकतें देश को कमजोर करते हैं। इस तर्क के समाप्त हो जाने से उन लोगों ने वह रास्ता अपनाया जो आमजन के मन को प्रदूषित करता है।
राकेश सिन्हा ने कहा कि जिस रामचरितमानस को सदियों से लोग सुबह से शाम तक पढ़ते हैं। जिस राम के नायकत्व को यह देश जन्म और मृत्यु दोनों में स्वीकार करता है। वह हमारे जीवन और मरण दोनों से जुड़े हुए हैं। उस पर कुछ विवेकहीन लोग सवाल उठाते हैं।जिस तुलसीदास की विवेक, बौद्धिकता, निस्वार्थ लेखन ने करोड़ों लोगों को पीढ़ियों से प्रभावित किया। उस पर ऐसे दो-चार लोग जो शुद्ध स्वार्थ के लिए समाज को बांटने के लिए, सामाजिक प्रदूषण फैलाने के लिए काम करते हैं, वह सवाल उठाते हैं। लेकिन समाज उन्हें खारिज करता है।
राकेश सिन्हा ने कहा कि ऐसे लोग स्वयं अपने आप को खारिज करते हैं। ना सिर्फ इतिहास, बल्कि उनका अपना परिवार भी उन्हें खारिज करता होगा। वह परिवार में तर्क देते होंगे कि मैं सिर्फ राजनीति के लिए ऐसा बोलता हूं, ऐसा सोचता और करता नहीं हूं।