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India Ground Report

बदलाव की आंधी सिर्फ पंजाब में दिखी !

पांचों राज्यों में उम्मीद के अनुरूप ही रहे परिणाम, भाजपा ना जीती ना हारी पांच राज्यों के चुनाव परिणाम में बदलाव की आंधी केवल पंजाब...

रोजाना एक कविता : आज पढ़ें अंकुश कुमार की कविता होंठों के जूते

एक दिन गले मिलने वालेहाथ मिलाते हैंऔर एक दिन सिर्फ़ मुस्कुराते हैंदूर से देखकरएक दिन ऐसा भी होता है किवे एक दूसरे को देखकरसकपका...

रोजाना एक कविता : आज पढ़ें प्रदीप कुमार शुक्ल की कविता रुपइया

कटाजुज्झु है भइया घर माकोउ नहीं सुनवइया घर मा जउनु रहैं सब लइगे काकायाकौ नहीं रुपइया घर मा हलेकान भोरहे ते अम्माकोउ नहीं करवइया घर मा बाहेर...

रोजाना एक कविता : आज पढ़ें प्रियंका दुबे की कविता होंठों के जूते

होंठ चूमने वालेप्रेमियों से भरे इस संसार में,तुमने हमेशापिछले दिन की थकन में डूबेमेरे सोते पैरों को चूम करसुबह जगाया है मुझे. “फुट फ़ेटिश है...

रोजाना एक कविता : आज पढ़ें पूर्णिमा वत्स की कविता हम मिलेंगे

बंद पड़ी चेतना के भीतरसमय है एकजो साइकिल के पहियों की तरहघूमता हैलेकिन दिखता नहीं हैतुम समय के उस छोर परमिलना ,जहाँ घड़ियाँ बंद...

रोजाना एक कविता : आज पढ़ें अनिता कपूर की कविता शब्द

शब्द ने स्वर सेअवतरित होने का रहस्य पूछातो स्वर ने कहासृष्टिशब्दों की गुफाएँमैं तपस्वीमैं बारिश की बंद से आयाशब्दों से लिपटबादलों से टपकाबिजली में...

world women’s day: पढ़ें गरिमा जैन द्वारा लिखित अपने अंत:पुर से बाहर आती स्त्री की कविता ‘नारी’

गरिमा जैन : नारीभगवान ने दो जीव बनायेनर भारीकोमलांगी नारीरथ के दो पहिये थेसाथ चलतेऔर रुकते थेएक – सासम्मान थाये सतयुग थाफिर अचानकनर को...

world women’s day: पढ़ें वास्तविक नारीवाद को परिभाषित करती मिहिका श्रीवास्तव की कविता

मिहिका श्रीवास्तव: वास्तविक नारीवादमुझे तलाश है ऐसी फेमिनिज़म की, जो बड़े वक्त से लापता हैशायद उन बड़े घरों की लड़कियों के ब्लॉग्स में कहीं...

world women’s day: रोजाना एक कविता में पढ़ें अपने अंत:पुर से बाहर आती स्त्रियों की कविता

स्त्री-विमर्श भारतीय समाज और साहित्य में उभरे सबसे महत्त्वपूर्ण विमर्शों में से एक है। स्त्री-जीवन, स्त्री-मुक्ति, स्त्री-अधिकार और मर्दवाद और पितृसत्ता से स्त्री-संघर्ष को...

रोजाना एक कविता : आज पढ़ें पवन सेठी की कविता तुम और तुम्हारी ज़िद

चाहा बहुत कुछ बदल देंमसलन तुम, ज़िद्द, आदतेंकब तक कोशिश करता मैंकब तक कुढ़ता मरता मैंन तुम्हें बदल पायान मैं खुद बेदख़ल आयातस्वीरें फ़्रेम...

रोजाना एक कविता : आज पढ़ें मार्कण्डेय राय नीरव की कविता कौस्तुभि चटर्जी

कौस्तुभि चटर्जी मुझे तुम्हारा नाम और थोड़ा-सा पताबांद्रा के एक पेशाबघर में मिलानाम और थोड़े-से पते के साथ यह भी लिखा था कि तुम...

रोजाना एक कविता : आज पढ़ें प्रवीण फ़क़ीर की ग़ज़ल ‘दयार’

झाँक कर दिल में यार देखोगे।ख़ुद में मुझको शुमार देखोगे।। एक रोटी पे झपटते बच्चे,ये भी तुम इश्तेहार देखोगे। फूल आएंगे बुत के हिस्से में,अपने हिस्से...

प्रेरक प्रसंग : ज्ञान की सार्थकता

डॉक्टर अल्बर्ट श्‍वाइट्जर अमेर‍िका में अपना आश्रम बनवा रहे थे, जहां उनकी योजना अपना ज्ञान और अनुभव युवाओं में बांटने की थी। आश्रम के...

लघुकथा: दार्शनिक और मोची

एक दार्शनिक फटे जूते लेकर एक मोची की दुकान पर आया और मोची से बोला, "जरा इनकी मरम्मत तो कर दो।"मोची ने कहा, "अभी...