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India Ground Report

रोजाना एक कविता : आज पढें अविनाश की कविता बायोपिक

वह कोई नदी थीजिसके किनारे दो प्रेमी युगलअपनी भुरभुरी सी कल्पना में गढ़ रहे थेसुंदर दृश्यों से हैप्पी एंडिंग वाली पटकथा नदी उन दोनों की...

रोजाना एक कविता : आज पढें स्मिता सिन्हा की कविता

जब साथ चलने वाले क़दम तेज होंतो थोड़ा धीमा कर लोअपने क़दमों को तुमथम कर चलोसध कर चलोनहीं तो लड़खड़ा कर गिर पड़ोगेवहीं रास्ते...

रोजाना एक कविता : आज पढ़ें अनु चक्रवर्ती की कविता अंतिम स्पंदन

समस्त जीव जालों केअंतिम स्पंदन तक बची रहे अवनि मेंपसीने !प्रेम एवं अश्रुओं पर सकल प्राणियों की अटूट आस्था ! काश ! कभी न छूटे...

रोजाना एक कविता : आज पढ़ें डॉ. रवि ‘हाशिया’ की कविता उम्मीद

याद रहे सबसे बड़ी दवाई है उम्मीदमुश्किलों में सबसे ज्यादा काम आई है उम्मीदउम्मीद वो तिनका है जो दरिया पार करा देगहरे अंधेरों में...

Motivational episode: क्रोध में हार की झलक

बहुत समय पहले की बात है। आदि शंकराचार्य और मंडन मिश्र के बीच सोलह दिन तक लगातार शास्त्रार्थ चला। शास्त्रार्थ की निर्णायक थीं मंडन...

अक्सर!

अक्सर! मुझे लगता हैजो हारा हुआ आदमी हैवह मैं ही हूंवह जो भीड़ के बाहर कहीं छूट करभटक गया हैवह थका आदमी मैं ही...

रोजाना एक कविता : आज पढ़ें ऐश्वर्य राय की कविता औरत

आकाश फूल ऊंची फुनगी पर हैउसे तोड़ने में असक्षम औरत,चुन लेती है जमीन पर गिरे मसुआये फूलों में सेथोड़े ठीकठाक, पकौड़े तले जाने लायक़...

रोजाना एक कविता : आज पढ़ें प्रमोद पाठक की कविता एक कहानी आसमान की

आसमान एक बच्चा हैऔर चाँद उसके मुँह में घुलता हुआ बताशावह घुलता जाता है मुँह में हर रोज़और टपकती जाती है लारफैलती जाती है...

तितली परों पर रंग रहने दो, आग मत रखो!

मानवता जिन बुनियादी गुनाहों में जीती आई है, उनमें से एक है शांति से जीने की उसकी नाक़ाबलियत। दरअसल मानवता के इतिहासों में जो...

रोजाना एक कविता : आज पढ़ें वरुन आनन्द की कविता क्यूँ सिखाया था इश्क़ खेल मुझे

क्यूँ सिखाया था इश्क़ खेल मुझेझेलना पड़ गया ना, झेल मुझे ख़्वाब में कोई जाता दिखता हैतंग करती है एक रेल मुझे मेरे साये से बैर...

रोजाना एक कविता : आज पढ़ें देवेन्द्र दांगी की कविता चांद और तुम

हमारे मकानों की छतों मेंआपस में इतनी दूरी थीकि हम दोनों एक दूसरे कोचील की तरह दिखते थे हमारी आंखों में दूरबीन नही थीलेकिन सन्तुष्टि...

रोजाना एक कविता : आज पढ़ें सामाजिक सच्चाइयों को बेनक़ाब करने वाले लोकप्रिय शायर राकेश रेड्डी की ग़ज़ल ‘जिंदगानी’

किसी दिन ज़िंदगानी में करिश्मा क्यूँ नहीं होतामैं हर दिन जाग तो जाता हूँ ज़िंदा क्यूँ नहीं होता मिरी इक ज़िंदगी के कितने हिस्से-दार हैं...

प्रेरक प्रसंग : ज्ञान की सार्थकता

डॉक्टर अल्बर्ट श्‍वाइट्जर अमेर‍िका में अपना आश्रम बनवा रहे थे, जहां उनकी योजना अपना ज्ञान और अनुभव युवाओं में बांटने की थी। आश्रम के...

लघुकथा: दार्शनिक और मोची

एक दार्शनिक फटे जूते लेकर एक मोची की दुकान पर आया और मोची से बोला, "जरा इनकी मरम्मत तो कर दो।"मोची ने कहा, "अभी...