सरकार के इस कदम का कई महिला संगठनों ने अभी से विरोध करना शुरू किया
काठमांडू : (Kathmandu) नेपाल के विवाह कानून (marriage law of Nepal) में संशोधन करते हुए विशेष परिस्थिति में बहु विवाह को मान्यता देने की तैयारी की गई है। इसके लिए सरकार ने कानून में संशोधन करने का प्रस्ताव संसद में पेश किया है। सरकार के इस कदम का कई महिला संगठनों ने अभी से विरोध शुरू कर दिया है।
नेपाल की संसद में विवाह कानून में संशोधन का प्रस्ताव करते हुए विशेष परिस्थिति में बहु विवाह को मान्यता देने की बात का उल्लेख किया गया है। कानून मंत्री अजय कुमार चौरसिया (Law Minister Ajay Kumar Chaurasia) ने कहा कि बहु विवाह सिर्फ उन परिस्थितियों में मान्य होगा, जिससे विवाहेत्तर संबंध के कारण बच्चे का जन्म होने पर उस बच्चे के भविष्य की सुरक्षा को मान्यता दी जा सके। नए प्रस्तावित कानून के मुताबिक यदि किसी शादीशुदा पुरुष या महिला का किसी अन्य महिला या पुरुष के साथ संबंध बनाने पर यदि गर्भ ठहरता है या बच्चे का जन्म होता है, तो उस बच्चे को कानूनी मान्यता देने, उसको भी सामाजिक पहचान दिलाने और उसे भी संपत्ति का अधिकार दिलाने के लिए दूसरी शादी करने की इजाजत दी जाएगी।
सरकार के इस नए प्रस्तावित कानून का कई महिला संगठनों ने विरोध किया है। सत्तारूढ़ दल नेपाली कांग्रेस से आबद्ध नेपाल महिला संघ (Nepal Women’s Association) के एक प्रतिनिधिमंडल ने रविवार को कानून मंत्री चौरसिया से मुलाकात कर इस प्रस्तावित कानून को वापस लेने का आग्रह किया है। महिला संघ के प्रतिनिधिमंडल ने एक ज्ञापन पत्र सौंपते हुए इस प्रस्तावित कानून को वापस लेने की मांग की है। उनका कहना है कि बहुविवाह को किसी भी रूप में मान्यता देना महिलाओं के सम्मान और स्वाभिमान के खिलाफ है।
सत्तापक्ष नेपाल कम्यूनिष्ट पार्टी यूएमएल के महासचिव शंकर पोखरेल (Ruling Nepal Communist Party UML General Secretary Shankar Pokhrel) ने भी इस नए प्रस्तावित कानून का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि गठबंधन में बिना चर्चा किए ही किसी के व्यक्तिगत स्वार्थ में इस तरह का कानून लाया गया है। पोखरेल ने कहा कि बहुविवाह का कानून को संसद से पारित नहीं होने दिया जाएगा।
इस विरोध पर कानून मंत्री अजय चौरसिया (Law Minister Ajay Chaurasia) ने कहा कि जिस तरह से इस कानून के बारे में प्रचारित किया जा रहा है यह उस तरह का बहुविवाह को मान्यता नहीं दिया जा रहा है। यह सिर्फ उन हजारों बच्चों को सोच कर कानून के बदलाव किया जा रहा है जो अवैध संबंध से जन्मे हों। उन्होंने कहा कि किसी पुरुष या महिला की गलती की सजा उस बच्चे को नहीं मिलनी चाहिए। सिर्फ ऐसे बच्चों की सुरक्षा और उनके भविष्य के लिए ही इस तरह का कानून लाने का प्रयास है।