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Homemumbaiरुक जाना न तू उदास होके... बच्चों को डिप्रेशन से बचाना है...

रुक जाना न तू उदास होके… बच्चों को डिप्रेशन से बचाना है ज़रूरी

अवसाद यानी डिप्रेशन आधुनिक जीवनशैली की दी हुई एक ऐसी मानसिक बीमारी है जो सिर्फ व्यस्कों, बल्कि बच्चों को भी अपनी चपेट में ले रही है। हालांकि माता-पिता यदि थोड़े सतर्क रहे और जीवनशैली में बदलाव करने के साथ ही बच्चों के साथ थोड़ा समय बिताएं तो मासूमों को डिप्रेशन से बचाया जा सकता है।

कंचन स‍िंंह 

मुश्किल होता है डिप्रेशन को पहचानना
डिप्रेशन तेज़ी से फैलती एक मनोवैज्ञानिकों समस्या है जिसमें पीड़ित का मूड स्विंग होने के साथ ही सोच-समझ, विचार-व्यवहार और कार्य क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। बच्चों में डिप्रेशन की पहचान करना थोड़ा मुश्किल काम है, क्योंकि बच्चों में इस बीमारी के लक्षण वयस्कों से अलग होते हैं।
बच्चों में डिप्रेशन के लक्षण
  •  बच्चा अचानक गुमसुम रहने लगता है
  •  मां-बाप से अलग होने पर बेहद परेशान हो जाता है
  •  पढ़ाई में मन नहीं लगता
  •  थोड़ा भी कुछ बोलने या डांटने पर रोने लगता है
  •  दूसरे बच्चों के साथ खेलना बंद कर देता है
  •  स्कूल जाने से इनकार करता है
  • बच्चों में डिप्रेशन के कारण
  • बच्चों में डिप्रेशन कई वजहों से हो सकता है-
  •  स्कूल और पढ़ाई का दबाव
  •  आत्मविश्वास की कमी
  •  परीक्षा का डर
  •  फेल हो जाने या कम नंबर आने की चिंता
  •  साथी बच्चों की बुलिंग का शिकार होना
  •  गलत संगत में पड़ना
  •  किसी सहपाठी के साथ झगड़ा होना
  •  शिक्षकों का दुर्व्यवहार आदि।

माता-पिता को बच्चों के व्यवहार पर नजर रखनी चाहिए और यदि बच्चे में ऊपर बताए गए लक्षण दिखते हैं, तो पहले तो उनके साथ प्यार से पेश आएं। डिप्रेशन का शिकार बच्चों को भावनात्मक सहारे और काउंसलिंग की ज़रूरत होती है। पैरेंट्स को किसी अच्छे काउंसलर की मदद तो लेनी ही चाहिए, साथ ही कुछ बातों का ध्यान भी रखना चाहिए।

  •  बच्चे की जीवनशैली में बदलाव
  •  मेडिटेशन, योग करवाना
  •  हेल्दी डायट देना
  •  आउटडोर खेल के लिए प्रोत्साहित करना
  • दूसरे-बच्चों के साथ घुलने-मिलने के लिए प्रेरित करना
  •  बच्चे के साथ ज्यादा से ज्यादा वक्त बिताने की कोशिश भी करना
  •  बच्चे को अच्छी किताबें या प्रेरक फिल्म दिखाएं
  •  किसी हॉबी में उसे व्यस्त रखना
  •  बच्चे की बातों को ध्यान से सुनना
  •  जब बच्चे से बात करें तो मोबाइल दूर रखें और उसे पूरी अटेंशन दें
  •  उनकी भावनाओं को समझें
हालांकि कई बार ऐसा भी हो सकता है कि बच्चा किसी चीज़ से बचने के लिए, खासतौर पर पढ़ाई से बचने के लिए डिप्रेशन का झूठा दिखावा करने लगे। ऐसे में पैरेंट्स को बच्चे की समस्या को समझना ज़रूरी होता है और डराने-धमकाने या मारने के बजाय प्यार से उसे समझाने की कोशिश करें ताकि बच्चे की भावनाएं आहत न हों।
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