आज सोचता हूं
तुमने मांगा था समय थोड़ा
मैं दे न सका या दिया नहीं
पर जो भी हो
तुम्हें जाना नहीं चाहिए था
यूं मुझे अकेला छोड़कर
आज सोचता हूं कि
तुमने मांगा था प्रेम
मैं दे न सका या दिया नहीं
पर तुम्हें ऐसे रूठना नहीं था
यूं मुझे अकेला छोड़
आज सोचता हूं कि
तुमने मांगा था थोड़ा सा साथ
मैं दे न सका या दिया नहीं
तुम्हें छोड़ना नहीं चाहिए था साथ
मुझे यूं ही अकेला
सोचता हूं कि तुम क्यों नहीं देख पाई
मेरे भीतर, मेरी आत्मा में
क्यों नहीं समझ पाई मेरे भाव
और छोड़ गई मुझे
फिर सोचता हूं तुम भी
ठीक ऐसे ही सोचती होगी कि
आखिर क्यों नहीं समझ सका मैं
और तुम्हें छोड़ना पड़ा मुझे