रोजाना एक कविता : हां जानता हूँ, बहुत कठिन है, ऐसे पुरूष से प्रेम करना

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हां जानता हूँ, बहुत कठिन है,
ऐसे पुरूष से प्रेम करना
जो नहीं जागता
तुम्हारे लिए रातों को
और ना ही लिखता है,
लच्छेदार प्रेम पत्र
और बस करता है,
सिर्फ़ काम की बात
क्यूंकि उसे निभानी होती है,
पहले से ओढ़ी गई
कई और जिम्मेवारियाँ भी।
किसी फ़िल्मी हीरो की तरह
उसके बाल लंबे नहीं होते
अनसुनी करता है,
तुम्हारी हर एक उलाहना
नहीं मानता वो
तुम्हारी अनर्गल बातें
और टोकता है तुम्हें
तुम्हारी हर एक गलती पर
ताकि बनो तुम और बेहतर।
लेकिन कभी
बताना उसे अपनी समस्या
फिर देखना
और महसूस करना
उसकी आंखों में
तुम्हें उबारने की आतुरता
और बातचीत का
एक लंबा सिलसिला
मानों उड़ेल देना चाहता है
अपना सब कुछ।
पर तुम तो खोयी हो
किसी राजकुमार के सपने में
जो आएगा घोड़े पर
या हार्ले डेविडसन पर
या ले जाएगा मर्सिडीज में
किसी लांग ड्राइव पर
क्यूँकि आख़िर भला
कौन प्यार करता है
एक कर्मठ मेहनती और
अनुसाशित व्यक्ति से।
इस जिंदगी की
पहेली ही कुछ ऐसी है
जहाँ छलिए लगते हैं, सुंदर
उन पर अपना सर्वस्व
लुटा देने वाली लड़कियाँ
फिर लिखती हैं,
विरह और छल के गीत
और तब बनती हैं,
पुरुषों के बारे में धारणाएं।

अज्ञात

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