वाराणसी: (Varanasi) काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) उत्तर प्रदेश का डीएनए बैंक बन रहा है। विश्वविद्यालय के जंतु विज्ञान विभाग के प्रमुख शोधकर्ता प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे ने बताया कि विभाग और एडनेट सोसाइटी, हैदराबाद ने मार्च 2023 में तीन दिवसीय कांफ्रेंस पर्सनलाइज्ड मेडिसिन पर आयोजित किया था, जिसमें 15 देशों से 21 नामचीन वैज्ञानिक सम्मिलित हुए थे।
इस कांफ्रेंस में विशेषज्ञों का एक सुझाव यह भी था कि बीएचयू में एक डीएनए बैंक बनाया जाए, जिससे भविष्य में आने वाली किसी भी महामारी का आमजन पर प्रभाव समझने में आसानी हो, साथ ही भारत में प्रचलित इंडोगेमी व्यवस्था (marriage system within the same caste) के कारण उत्पन्न होने वाले रेसेस्सिव बीमारियों के जीन अध्ययन के लिए डीएनए की उपलब्धता सुनिश्चित हो। प्रोफेसर चौबे के अनुसार इसी कार्य के लिए विभाग में एक ऑटोमेटेड डीएनए एक्सट्रैक्टर मशीन लगायी गयी है, जो किसी भी जैविक सामग्री (रक्त, लार, बाल या उतक) से डीएनए निकालने में सक्षम है। इस मशीन को लगाने वाले बंगलुरू के कैंब्रियन बाॅयोवर्क्स के वैज्ञानिक डॉ. राघव और हिमानी ने बताया कि यह मशीन मेक इन इंडिया के तहत पूर्ण रूप से स्वदेशी है। इसको इस तरीके से बनाया गया है कि इसमें कम से कम प्लास्टिक का इस्तेमाल हो, जिससे वातावरण को कोई नुकसान न पहुंचे। यह मशीन एक बार में 32 नमूनों से 30 मिनट में डीएनए निकाल सकती है। उन्होंने बताया कि इस कार्य के लिए पूरे उत्तर भारत से इस परियोजना में विभिन्न जातियों और जनजातियों के 50 हज़ार सैंपल जुटाने की योजना है। कम से कम 5 वर्ष का समय लगेगा। इस परियोजना के अगले चरण में इन सैंपल का डीएनए डाटा भी उपलब्ध कराया जायेगा।