
राजेश जोशी
जो इस पागलपन में शामिल नहीं होंगे, मारे जाएंगे
कठघरे में खड़े कर दिये जाएंगे
जो विरोध में बोलेंगे
जो सच-सच बोलेंगे, मारे जाएंगे
बर्दाश्त नहीं किया जाएगा कि किसी की कमीज हो
उनकी कमीज से ज्यादा सफेद
कमीज पर जिनके दाग नहीं होंगे, मारे जाएंगे
धकेल दिये जाएंगे कला की दुनिया से बाहर
जो चारण नहीं होंगे
जो गुण नहीं गाएंगे, मारे जाएंगे
धर्म की ध्वजा उठाने जो नहीं जाएंगे जुलूस में
गोलियां भून डालेंगी उन्हें, काफिर करार दिये जाएंगे
सबसे बड़ा अपराध है इस समय निहत्थे और निरपराधी होना
जो अपराधी नहीं होंगे, मारे जाएंगे
कवि परिचय :

सामयिक मुद्दों पर कविताएं लिखने के लिए मशहूर कवि राजेश जोशी (Rajesh Joshi) की कविताएं युवा पीढ़ी के लिए जोशीले नारे की तरह चर्चित रही हैं। सांप्रदायिकता के खिलाफ लिखी उनकी कविताएं सत्ता और सियासत की पोल खोलती रही हैं। उनकी रचनाएं हैं— समरगाथा (लम्बी कविता), एक दिन बोलेंगे पेड़, मिट्टी का चेहरा, दो पंक्तियों के बीच (कविता संग्रह), पतलून पहना आदमी (मायकोवस्की की कविताओं का अनुवाद), धरती का कल्पतरु(भृतहरि की कविताओं का अनुवाद), गेंद निराली मीठू की। कविता संग्रह ‘दो पंक्तियों के बीच’ के लिए 2002 का साहित्य अकादमी पुरस्कार।