Shimla : याेग और नैनो टैक्नोलॉजी पर मिलकर किया जाएगा शोध : कुलपति महावीर सिंह

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शिमला : (Shimla) अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (Himachal Pradesh University) के योग विभाग द्वारा प्रातः योग प्रोटोकॉल का आयोजन किया गया। जिसमें विष्वविद्यालय के कुलपति आचार्य (डॉ.) महावीर सिंह बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित रहे। कुलपति ने अपने सम्बोधन में कहा कि साईंस में नैनो टैक्नोलॉजी (nano technology) में योग को जोड़ना होगा क्योंकि योग और नैनो टैक्नोलॉजी में आपस में बहुत समानताएं हैं। यौगिक क्रियाओं से ही हम आध्यात्म और समाधि (Spirituality and samadhi) की ओर बढ़ सकते हैं। अगर हमें अपनी भीतरी खोज करनी है तो हमें उस सुक्ष्म को ढ़ूंढना होगा और यह तभी सम्भव हो पाएगा जब हम यौगिक क्रियाओं और ध्यान को अपने जीवन में आत्मसात करेंगे। इसके विपरीत नैनो टैक्नोलॉजी में भी हम सुक्ष्म की खोज करते हैं। फरक सिर्फ इतना है कि नैनो विज्ञान में हम सुक्ष्म तत्वों को माईक्रोस्कोप की सहायता से खोजते हैं और योग में हम अपने अन्दर विद्यमान सुक्ष्म को यौगिक क्रियाओं और ध्यान के माध्यम से खोजते हैं। इसलिए जल्द ही योग और नैनो टैक्नोलॉजी (yoga and nano technology) पर मिलकर शोध किया जाएगा और इन पर शोध पत्र भी प्रस्तुत किया जाएगा।

कुलपति ने छात्रों को सम्बोधित करते हुए कहा कि किसी भी खोज में बाउंडरी का होना अति आवष्यक है क्योंकि आध्यात्म में ब्रह्म मुहूर्त में योग (yoga in Brahma Muhurta) करने की परम्परा रही है और यह परम्परा ही नहीं परन्तु इसके पीछे साईंस विद्यमान है क्योंकि ब्रह्म मुहूर्त वह समय है जब रात और दिन का मिलन होता है और इस समय में यौगिक क्रियाओं की शक्ति और अधिक बढ़ जाती है। साईंस में भी जो भी डिस्कवरी (discovery) आज तक हुई है वह बाउंडरी पर ही हुई है। इसलिए आपने कुछ हासिल करना है तो आपको वह बाउंडरी ढूंढनी होगी तभी आप एक सक्षम खोज कर सकते हैं।

कुलपति (Vice Chancellor) ने कहा कि योग को अपने जीवन से जोड़ना न केवल हमारे शारीरिक बल्कि हमारे मानसिक एवं सामाजिक स्वास्थ्य के लिए भी बहुत जरूरी है, आज युवाओं में नशे की ओर तेजी से बढ़ने की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही हैं उसे रोकने के लिए भी योग आज बहुत बड़ी भूमिका निभा रहा है। इस योग दिवस में योग विभाग के शोधार्थियों ने अपनी योग क्रियाओं का कौषल दिखाया जिसमें ध्योति क्रिया, जल नेती, वमन क्रिया (Dhyoti Kriya, Jal Neti, Vaman Kriya) इत्यादि रहे। कुलपति ने सभी शोधार्थियों को सम्मानित किया। यह वह शोधार्थी हैं जोे पूरे प्रदेष में योग योग का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं।