सरगोशियां : काला मफलर और हुनर्तू

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अपनी गरदन और पुष्ट कमर के झटकों का साथ देने के लिए शम्मी कपूर को ऊलजलूल पोशाकों और एकाध प्रॉप की जरूरत पड़ती थी. मिसाल के तौर पर ‘जानवर’ पिक्चर में नदी किनारे आई लड़कियों के बीच खड़ी राजश्री को रिझाने के लिए कमर पर सफ़ेद सुतली से बांधे गए, मोटे चेकदार कम्बल से बने लबादे के साथ साथ एक हास्यास्पद जोकर-टोपी पहन कर वे गाते हैं – “तुमसे अच्छा कौन है”. नकली गुस्सा दिखला रही हीरोइन की लात खा वे जमीन पर गिरते ही पीठ के बल घिसटते हुए सूखे पत्तों को प्रॉप की तरह इस्तेमाल करने लगते हैं.

नायिकाओं को रिझाने का काम करने के लिए शम्मी कपूर को बाकी नायकों के मुकाबले काफी कम मशक्कत करनी होती थी.

उनकी अदाएं खासी स्त्रैण होती थी जिनका इस्तेमाल करते हुए वे अपनी मर्जी से गिरते, घिसटते, उछलते, उठक-बैठक करते या डूबते-लहराते झटकों में गाने गाते.

नेचुरल लिपस्टिक लाली वाले होंठ उनके चेहरे की पहचान थे जिस पर एक गाने के दरम्यान कुल जमा छः या सात तरह के एक्स्प्रेशन्स लाये जाने होते थे. सेट पर मौजूद कोई कुर्सी, पेड़, लकड़ी या गुलदस्ता उनकी निगाह में पहले से रहता होगा जिससे वे अपने सहायक अभिनेता का काम ले लेते थे. मोहम्मद रफ़ी भी उनके गानों को शम्मी कपूर बन कर ही गाया करते थे. शम्मी कपूर का सारा करिश्मा इसी सुपरहिट कॉम्बिनेशन में है.

यह कॉम्बिनेशन ‘कश्मीर की कली’ में अपने उरूज पर पहुंचा. ‘ये चाँद सा रौशन चेहरा’ में उन्होंने सलीकेदार सलेटी सूट पहना है लेकिन उसे सूटेबल बनाने के लिए गले में लाल-सफ़ेद फूलों की मंदिरों में चढ़ाई जाने वाली माला और धानी स्कार्फ भी डाला हुआ है. बेचैन हाथों को थामने के लिए एक नाव और उसकी सीट है. ‘दीवाना हुआ बादल’ में उन्होंने काली जैकेट के साथ पोल्का डॉट्स वाला लेडीज स्कार्फ पहना है और फूलों से लादे पेड़ को प्रॉप बनाया है.

इसी फिल्म का एक दूसरा गाना पूरी तरह क्लासिक और प्रतिनिधि शम्मी कपूर है.

गाने में अपनी नकली मासूमियत में नकली लजाती नायिका नायक से पूछती है – ‘इशारों इशारों में दिल्ले ने वाले बता ये हुनर्तू ने सीखा कहाँ से!” नायक उत्तर देता है – “निगाहों-निगाहों में जादू चलाना मेरी जान सीखा है तुमने जहां से!”

शर्मिला टैगोर ने सुन्दर पोशाक और ढेर सारे ओवरसाइज़ गहने पहन रखे हैं. चेहरे पर अच्छा खासा मेकअप है. माथे पर घुंघराली लट है. उनके बरअक्स शम्मी कपूर ने फकत गाढ़े पीले-नारंगी रंग का ढीला बटनदार कुरता और हलके शेड का धोतीनुमा पाजामा पहना है. कोहरे, जंगल और लकड़ी के बने एक छोटे से शैक में फिल्माए गए इस गीत में शम्मी कपूर के पास प्रॉप के नाम पर एक काला मफलर भर है जिसे अपनी पीठ के ऊपर से अपनी बांहों तक ताने वे झटकते-बल खाते प्रकट होते हैं और गाना शुरू होने के उन्तालीसवें सेकेण्ड में उस मफलर को अपने सर के ऊपर से तेजी से लाकर शर्मिला को उसके पाश में ले लेते हैं.

पैंतालीसवें सेकेण्ड में मफलर फोल्ड होकर उनके दाएं हाथ में आकर किसी झंडे की तरह गोल-गोल लहराने लगता है. सत्तावनवें सेकेण्ड में मफलर को गुड़ीमुड़ी बनाकर वे किसी बच्चे की तरह अपने सीने से भींच लेते हैं. एक मिनट चार सेकेण्ड में मफलर का आधा दिस्सा बाएँ कंधे पर है और आधा दाईं तरफ बालों के ऊपर जा रहा है. एक मिनट दस सेकेण्ड पर उन्होंने मफलर को किसी क्लासिक बंगाली नायक की अदा के साथ बिलकुल सलीके से पहना हुआ है. सत्रह सेकेण्ड बाद अपने ट्रेडमार्क झटका-मूवमेंट में वे इस मफलर को अपने सर पर पगड़ी की तरह पहनते नजर आते हैं.

एक मिनट बावन सेकेण्ड पर शम्मी कपूर ने उसे अपनी कमर पर बाँध लिया है और वे किसी चरवाहे प्रेमी की तरह लोकनृत्य कर रहे हैं. दो मिनट चार सेकेण्ड पर मफलर फिर से पग्गड़ बन गया है.

गाने के बीच-बीच में शर्मिला टैगोर बार बार कोहरे में गायब होती रहती है. उसके स्क्रीन पर उभरते ही शम्मी और उनका मफलर किसी दूसरे ही रूप-संयोजन में नजर आते हैं.

गाने के अंत में सबसे तार्किक यही हो सकता था कि मफलर को उसकी मेहनत का इनाम मिले. सो जब एक दूसरे का हाथ थामे नायक-नायिका कोहरे में ही दूर जाते, अदृश्य होते दिखाई देते हैं तो ध्यान से देखने पर पता चलता है कि जनाब मफलर शम्मी कपूर के गले या खोपड़ी पर नहीं, दोनों के युगल हाथों में स्थापित होकर झूलते चले जा रहे हैं अर्थात हीरोइन ने हीरो को समफलर स्वीकार कर लिया है.

आज भी बहुत दिनों के बाद एक बार सुन लेने के बाद लत की तरह दिमाग पर चिपक जाने की तासीर रखने वाले, ओपी नैयर के बनाए इस बेहद मीठे गाने का वीडियो शम्मी कपूर और शर्मिला कपूर के लिए नहीं काले मफलर के लिए एक बार अवश्य देखे जाने की दरकार रखता है.