स्वागत नहीं करोगे हमारा : 5 साल बाद अब बिहार लौटेंगे ‘सुपरकॉप’ IPS शिवदीप लांडे

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बिहार पुलिस में कुछ अफसर ऐसे हैं जिनका नाम न लिया जाए तो फोर्स अधूरी सी लगती है। नाम से अच्छे-अच्छे अपराधियों और माफिया के भूत तक भागते हैं। इनमें से एक ऑफिसर फिलहाल महाराष्ट्र सरकार को अपनी सेवाएं दे रहे हैं लेकिन अब वो बिहार लौट रहे हैं। जानिए, क्यों है जरायम की दुनिया में लांडे के नाम का खौफ

जब रोहतास में बालू और पत्थर माफिया बेलमाग होते जा रहे थे तो शिवदीप लांडे की वहां तैनाती की गई। इसके बाद लांडे ने बालू और पत्थर माफिया के खिलाफ जबरदस्त मुहिम चलाई। बिहार में शिवदीप लांडे के नाम कई कारनामे दर्ज हैं। खासकर सड़क छाप लफंगों पर इनकी सख्ती ने कॉलेज और स्कूल की लड़कियों के बीच इनकी छवि हीरो की बना दी थी।

बिहार कैडर के एसपी शिवदीप वामन लांडे की रग रग में बिहार है। शिवदीप लांडे जब अपने गृह-राज्य महाराष्ट्र जा रहे थे, तो उन्होंने फेसबुक पेज पर बिहार के प्रति अपने प्यार को बयान किया था। उसे पढ़िए और उत्तर भारतीय-मराठी सियासी नफरतों के बीच कैसे महाराष्ट्र का यह नौजवान बिहार का लाल बन गया।

‘बिहार’ ये महज़ एक राज्य का नाम नहीं है मेरे लिए. पर मेरे जीवन का एक सबसे बड़ा और प्रिय अंश है. हम कहां और किसके यहां पैदा हों ये हमारे वश में नहीं, हमारा नाम भी हमारे होश के पहले तय कर दिया जाता है. बचपन का पहला समझ आने पे हम देश, राज्य, धर्म और विश्वासों के बीच में खुद को पाते हैं.  बचपन से ही मुझे कुछ अलग हट कर करने का जुनून था। अत्यंत अभाव था घर में पर वो मजबूरियां भी कभी मेरे पैरों की बेड़ियां बनने की सफलता नहीं पा सकीं. महाराष्ट के एक प्रसिद्ध कॉलेज में प्रोफेसर की नौकरी और फिक I.R.S. का पदभार भी मुझे बहुत दिनों तक रोक नहीं पाया. 2006 में I.P.S. की सफलता और फिर बिहार को बतौर राज्य मिलना मेरे जीवन का लक्ष्य तय करने वाला था.
बिहार ने मुझे इन आठ वर्षों की नियुक्ति में मुझे बहुत सारी यादें संजोने को दिया है. मुंगेर से तबादले के बाद 6 k.m. तक फूलों से विदा करना, भीषण ठण्ड में पटना से मेरे तबादला में लोगों की भूख हड़ताल, अररिया से तबादले पे 48 घंटों तक लोगों ने मुझे जिले से बाहर न जाने दिया, रोहतास में पत्थर माफियाओं के खिलाफ मेरी मुहिम में सबका साथ और अनेकों मौकों पर सबका मेरे साथ खड़ा होना शायद हमेशा मेरे दिल में रहेगा. अनेकों बार मुझपे जानलेवा हमले हुए लेकिन फिर भी अगर मुझे बिहार की रक्षा में अपनी जान भी देनी होती तो शायद बहुत कम होता. मेरी नियुक्ति जहां भी रहीं मुझे लोगों ने अपनाया है. अपने अभिवावक तुल्य मेरे सीनियर्स, मीडिया के भाई, मेरे साथ काम कर रहे मेरे मित्र और मेरे सम्पूर्ण परिवार बिहार की जनता का मैं पूरे दिल से धन्यवाद देता हूं. मीडिया के भाइयों ने कभी मुझे ‘दबंग’, ‘सिंघम’, ‘रॉबिन हुड’ और न जाने कितने उपनाम दिए पर मुझे ख़ुशी है कि मेरे मित्रों ने मुझे मेरे ‘शिवदीप’ नाम से बुलाना ज्यादा पसंद किया है. मैं हमेशा आपका अपना शिवदीप ही रहना चाहता हूं. मेरा प्रतिनियुक्ति आज अगले तीन वर्षों के लिए महाराष्ट्र में हुई है. जब मैंने पुलिस सर्विस को अपनाया तो फिर केंद्र सरकार के बुलावे पे मुझे कहीं भी अपने फ़र्ज़ को निभाना होगा. मैं जन्म से शायद महाराष्ट्र का हूं पर अपने कर्म और मन से पूरा बिहारी हूं. बिहार की शान को बढ़ाना ही मेरा सौभाग्य होगा.