नई दिल्ली : (New Delhi) रायपुर–विशाखापत्तनम इकोनॉमिक कॉरिडोर परियोजना (Raipur-Visakhapatnam Economic Corridor project) दिसंबर 2026 तक पूरी हो जाएगी। इसके शुरू हो जाने से छत्तीसगढ़, ओडिशा और आंध्र प्रदेश के बीच यात्रा दूरी 597 किलोमीटर से घटकर 465 किलोमीटर रह जाएगी, जबकि यात्रा समय 12 घंटे से घटकर मात्र 5 घंटे का हो जाएगा।
यह 6-लेन ग्रीनफील्ड हाईवे परियोजना (6-lane greenfield highway project) राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) द्वारा पीएम गतिशक्ति योजना के तहत 16,482 करोड़ रुपये की लागत से बनाई जा रही है। एक्सेस कंट्रोल तकनीक से निर्मित यह हाईवे 100 किलोमीटर प्रति घंटे की डिजाइन गति पर आधारित होगा, जिससे माल ढुलाई और यात्री परिवहन दोनों तेज और सुरक्षित होंगे।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (Ministry of Road Transport and Highways) के अनुसार, इस कॉरिडोर के पूरा होने से छत्तीसगढ़ और ओडिशा के औद्योगिक क्षेत्रों को विशाखापत्तनम पोर्ट व चेन्नई–कोलकाता राष्ट्रीय राजमार्ग से सीधा संपर्क मिलेगा। इससे लॉजिस्टिक लागत घटेगी, सप्लाई चेन मजबूत होगी और निर्यात को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही मौजूदा 2-लेन एनएच-26 पर यातायात दबाव में भी कमी आएगी।
परियोजना का असर स्थानीय स्तर पर नजर आने लगा है। परिवहन व्यवसाय से जुड़े लोगों का कहना है कि यात्रा समय कम होने से डीजल और मेंटेनेंस खर्च में भारी कमी आएगी। वहीं, किसान इस परियोजना को आर्थिक वृद्धि का माध्यम मान रहे हैं। रायपुर से विशाखापत्तनम तक नियमित रूप से माल भेजने वाले ट्रक मालिक विशाल का कहना है कि पहले इस सफर में करीब डेढ़ दिन लग जाता था, लेकिन नया कॉरिडोर शुरू होने के बाद वह दिन में चलकर रात तक गंतव्य पर पहुंच सकेंगे। इससे डीजल खर्च, समय और ट्रकों के रखरखाव पर खर्च में बड़ी बचत होगी।
आंध्र प्रदेश के विजयनगरम जिले में जमीनों की कीमतों में बड़ा उछाल देखा गया है। जहां पहले कीमत लगभग 15 लाख रुपये प्रति एकड़ थी, वहीं अब बढ़कर 1.5 करोड़ रुपये प्रति एकड़ तक पहुंच गई है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों की आर्थिक स्थिति में तेज सुधार देखा जा रहा है।
विजयनगरम जिले के जामी गांव के निवासी श्रीनिवासुलु ने बताया कि उन्होंने ग्रीनफील्ड हाईवे के लिए 1.10 एकड़ जमीन दी है, जिसके बदले उन्हें उचित मुआवजा मिला है। साथ ही बची हुई जमीन की कीमत में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है, जिससे गांव के किसान भविष्य को लेकर उत्साहित हैं।
यह कॉरिडोर छत्तीसगढ़ के धमतरी, कांकेर, केशकाल, ओडिशा के नबरंगपुर, कोरापुट, बोरिगुम्मा और आंध्र प्रदेश के अराकू व आसपास के आदिवासी क्षेत्रों को बेहतर सड़क कनेक्टिविटी देगा। इससे शिक्षा, स्वास्थ्य, उद्योग, पर्यटन और रोजगार के अवसरों में बढ़ोतरी की उम्मीद है।
परियोजना के 15 पैकेजों में निर्माण कार्य चल रहा है और सरकार इसे औद्योगिक, सामाजिक और परिवहन विकास का बड़ा कदम मान रही है।



